अमेरिका में 1,800+ अंतरराष्ट्रीय छात्रों के वीज़ा रद्द, अदालत के फैसले से बहाली

अमेरिका में 1,800+ अंतरराष्ट्रीय छात्रों के वीज़ा रद्द, अदालत के फैसले से बहाली

जब डोनाल्ड ट्रम्प, संयुक्त राज्य राष्ट्रपति ने 2025 की शुरुआत में "विदेशी छात्र निगरानी" नामक एक अभियान शुरू किया, तो कोई नहीं सोचता था कि अंतरराष्ट्रीय छात्र की जिंदगी अचानक उलट-पुलट हो जाएगी। 1,800 से 4,000 तक के अनुमानित छात्रों के F‑1 और J‑1 वीज़ा रद्द, साथ ही SEVIS रिकॉर्ड का समाप्त होना, पूरे देश में झटके की तरह फैल गया।

पृष्ठभूमि और कारण

अभियान का शीर्षक था "सेफ कैंपस, सुरक्षित भविष्य"—एक बयान जो अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा विभाग (DHS) के बयान पर आधारित था। यू.एस. डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी ने कहा कि कुछ छात्रों ने मामूली कानूनी मुद्दों, जैसे ट्रैफ़िक सिटीशन, को बड़ाने की कोशिश की। नाफ़्सा (NAFSA), यानी नैशनल असोसिएशन ऑफ फॉरेन स्टूडेंट एडवाइजर्स, ने रिपोर्ट किया कि भारतीय और चीनी STEM छात्रों को अधिकतर निशाना बनाया गया।

विस्तृत विकास

मार्को रूबियो, जो उस समय विदेश मंत्री (Secretary of State) थे, ने प्रारंभ में यह कहा कि सिर्फ 300 छात्र प्रभावित हुए हैं। लेकिन जैसे ही कैलिफ़ोर्निया, टेक्सास, न्यूयॉर्क और मिशिगन के 280 से अधिक विश्वविद्यालयों ने अपनी रिपोर्टें भेजीं, वास्तविक आंकड़े सामने आए। UC डेविस के सर्विसेज़ फ़ॉर इंटरनेशनल स्टूडेंट्स एंड स्कॉलर्स (SISS) ने बताया कि अकेले 23 छात्रों के SEVIS रिकॉर्ड अप्रैल 10, 2025 तक समाप्त हो चुके थे।

विधायी पहलू दर्शाता है कि वीज़ा रद्द और छात्र स्थिति (स्टेटस) दो अलग बातें हैं। वीज़ा केवल देश में प्रवेश की अनुमति देता है; जबकि SEVIS स्टेटस पढ़ाई जारी रखने और काम करने की क्षमता देता है। जब स्टेटस हटाता है, तो छात्र तुरंत काम करने की अनुमति खो देता है और कई बार डीपार्टमेंट ऑफ स्टेट (Department of State) के तहत हटाने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है।

संकटकालीन प्रतिक्रिया

इमिग्रेशन वकील लुइस मालडोना (Luis Maldonado) ने कहा, "हमने देखा कि कुछ लोगों को केवल पार्किंग टिकट या जॉलेवॉक के कारण ही लक्ष्य बनाया गया।" उन्होंने एक गर्भवती टिचिंग असिस्टेंट का मामला भी उजागर किया, जिसे अचानक काम से निकाल दिया गया और उसके छात्रों की फाइनल एग्जाम में बाधा आई। छात्रों ने इकॉलजिकल संस्थानों के खिलाफ 16 से अधिक मुकदमे दायर किए, जिसमें एक मुकदमे में अप्रैल 15, 2025 को बताया गया कि कार्रवाई "मनमानी, अत्यधिक, और संविधान के विरुद्ध" थी।

जॉर्ज बॉड (Judge George Boyd), जॉर्जिया के एक फेडरल जज, ने अप्रैल 24, 2025 को आदेश दिया कि सभी समाप्त हुए SEVIS रेकॉर्ड को फिर से सक्रिय किया जाए। यह आदेश तुरंत लागू हुआ—उसी शाम तक UC डेविस के सभी 23 छात्रों का स्टेटस पुनर्स्थापित कर दिया गया।

प्रभाव एवं विश्लेषण

प्रभाव एवं विश्लेषण

ऐसे बड़े स्तर पर किए गए इस कदम ने कई स्तरों पर हलचल मचा दी। सबसे पहले, छात्रों की मानसिक स्थिति बिगड़ गई—एक सर्वे में बताया गया कि 70% छात्र अब एक साल में दो बार विदेश यात्रा पर जाँच का सामना करने से डरते हैं। दूसरा, कई विश्वविद्यालयों को विदेशी छात्रों की संख्या घटाने का डर रहा, जिससे उनकी आय में संभावित कमी आ सकती है। तीसरा, इस घटना ने कई देशों के साथ राजनयिक तनाव पैदा किया, क्योंकि भारत और चीन के छात्र प्रमुख थे।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह कार्रवाई भविष्य में "आगामी यात्रा प्रतिबंधों" की तैयारी का हिस्सा हो सकती है। मौजूदा इमीग्रेशन नीति के विशेषज्ञ डॉ. राकेश सिंह (Dr. Rakesh Singh) ने कहा, "अगर सरकार दीर्घकालिक प्रतिबंध लगाती है, तो इन छात्रों के लिए अमेरिकी विश्वविद्यालयों में पढ़ाई एक जोखिम बन जाएगी।"

भविष्य के कदम

अब सरकार ने कहा है कि ऐसी व्यापक निगरानी आगे नहीं होगी, लेकिन इमीग्रेशन विभाग ने फिर भी "सुरक्षा जोखिम" की शब्दावली को जारी रखा है। छात्रों को सलाह दी जा रही है कि वे अपने सभी कानूनी दस्तावेज़ों को अपडेट रखें और किसी भी छोटी सी ट्रैफ़िक उल्लंघन को भी रिपोर्ट करें। साथ ही विश्वविद्यालयों को भी सिफ़ारिश की गई है कि वे अंतरराष्ट्रीय छात्र सुरक्षा के लिए एक अलग इकाई बनाएं, ताकि भविष्य में ऐसी अनपेक्षित कार्रवाई से बचा जा सके।

Frequently Asked Questions

क्या सभी प्रभावित छात्र अब अपने वीज़ा वापस पा सकते हैं?

अधिकांश छात्रों के SEVIS रिकॉर्ड फिर से सक्रिय कर दिए गए हैं, जिससे वे वैध छात्र स्टेटस प्राप्त कर सकते हैं। हालांकि, वीज़ा स्वयं को पुनः जारी करना अलग प्रक्रिया है, जो अमेरिकी दूतावास के निर्णय पर निर्भर करता है।

किसे इस कार्रवाई के लिए ज़िम्मेदार ठहराया गया है?

मुख्य रूप से यू.एस. डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) और उस समय के विदेश मंत्री मार्को रूबियो को इस नीति का पहल बनाने के लिए जिम्मेदार माना गया है।

क्या इस घटना का कोई पूर्व precedents है?

पहले 2014‑2015 में समान आकार की SEVIS हटाने की घटनाएँ नहीं हुईं, इसलिए यह 2025 की कार्रवाई को सबसे बड़ा precedent माना जा रहा है।

भविष्य में ऐसी कार्रवाई से कैसे बचा जा सकता है?

छात्रों को सभी छोटी‑छोटी कानूनी उलझनों से बचना चाहिए, और विश्वविद्यालयों को उनके लिए एक स्पष्ट इन‑कंसॉल्ट प्रक्रिया स्थापित करनी चाहिए। साथ ही, विधायी स्तर पर इस तरह की व्यापक निगरानी को रोकने के लिए लॉबिंग कार्य आवश्यक है।

3 टिप्पणि

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    Sampada Pimpalgaonkar

    अक्तूबर 6, 2025 AT 01:23

    हमें इस मुद्दे को मिलकर समझना चाहिए, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय छात्रों की सुरक्षा और शिक्षा दोनों ही महत्वपूर्ण हैं। सरकार की नीतियों को स्पष्ट करने की जरूरत है, और विश्वविद्यालयों को भी छात्रों के समर्थन के लिए बेहतर सिस्टम बनाना चाहिए। इस स्थिति में हम सबको सहयोगी बनकर कदम उठाना चाहिए, ताकि किसी का भविष्य बाधित न हो।

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    Sanjay Kumar

    अक्तूबर 6, 2025 AT 02:13

    कुल मिलाके एरर का दायरा बड़ा है एहतियात नहीं भली भांति देखी गई तो काफी सुईकल चलत
    विज़ा रद्द करने वाला फाइल चैक भी नोटिस नहीं होत

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    Veena Baliga

    अक्तूबर 6, 2025 AT 03:03

    यह राष्ट्रीय सुरक्षा के सिद्धांत के विरुद्ध नहीं हो सकता, किन्तु हमारे देश की प्रतिष्ठा और विद्यार्थियों की भविष्य को ध्यान में रखते हुए इस नीति को पुनः विचार किया जाना चाहिए। हमें अपने नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए और विदेशी विद्यार्थियों के साथ समान व्यवहार करना चाहिए।

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