अरविंद केजरीवाल 'आबकारी नीति घोटाले' के सूत्रधार: सीबीआई ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया
जुल॰, 30 2024अरविंद केजरीवाल का नाम आया केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की राडार पर
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने दावा किया है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली आबकारी नीति घोटाले के सूत्रधार हैं। सीबीआई ने दिल्ली उच्च न्यायालय में यह बात रखते हुए कहा कि केजरीवाल की गिरफ्तारी जांच की संपूर्णता के लिए जरूरी थी। सीबीआई के वकील डीपी सिंह ने यह भी कहा कि केजरीवाल की गिरफ्तारी से और नए सबूत और गवाहों की गवाही मिल पाई है, जो घोटाले की जड़ें तक पहुंचने में सहायक रही।
सीबीआई का आरो: केजरीवाल ने बढ़ाया थोक विक्रेताओं का मुनाफा
सीबीआई ने उच्च न्यायालय को बताया कि उनके पास उन सबूतों की पुष्टि हो चुकी है जो केजरीवाल की इस घोटाले में सीधी भागीदारी दिखाते हैं। एजेंसी ने कहा कि आबकारी नीति में बदलाव करके थोक विक्रेताओं का मुनाफा 5% से बढ़ाकर 12% कर दिया गया, जिससे भारी धनराशि की लीकेज हुई। सीबीआई का आरोप है कि केजरीवाल के कारण इस बढ़े हुए मुनाफे से भ्रष्टाचार में वृद्धि हुई।
सीबीआई ने यह भी आरोप लगाया कि घोटाले की जांच के बाद भी केजरीवाल गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं और इस वजह से उनकी गिरफ्तारी को आवश्यक बताया।
केजरीवाल के वकील का बचाव
अरविंद केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सीबीआई के आरोपों का खंडन किया और कहा कि मुख्यमंत्री के खिलाफ कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल के घर से कोई महत्वपूर्ण जमा नहीं पाई गई है। सिंघवी ने यह भी तर्क दिया कि आबकारी नीति एक संस्थागत निर्णय था जिसमें 50 से अधिक नौकरशाह, उपराज्यपाल और नौ मंत्रालय शामिल थे।
सिंघवी ने कोर्ट को बताया कि इस पूरे पैरवी में केवल केजरीवाल को ही निशाना बनाया जा रहा है जबकि यह निर्णय सामूहिक रूप से लिया गया था। उन्होंने कहा कि सीबीआई की दलीलें व राजनीति प्रेरित हैं और इसका उद्देश्य मुख्यमंत्री को बदनाम करना है।
दिल्ली उच्च न्यायालय का निर्णय आरक्षित
इस मामले की सुनवाई में दिल्ली उच्च न्यायालय ने केजरीवाल की नियमित जमानत की याचिका पर अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया है। न्यायालय ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि वह इस मामले में जल्द ही आदेश जारी करेगा।
यह मामला अब राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन चुका है और सभी की निगाहें उच्च न्यायालय के आगामी फैसले पर टिकी हैं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर लगे इस घोटाले के आरोपों ने दिल्ली की राजनीति में भूचाल ला दिया है और आने वाले समय में इसके राजनीतिक निहितार्थ भी भली-भांति दिखाई देंगे।
अब देखना यह होगा कि उच्च न्यायालय का निर्णय किस दिशा में जाएगा और सीबीआई की जांच में आगे क्या खुलासे होते हैं। इस बीच, दिल्ली सरकार और उसकी नीतियों पर जनता की कामना और उनके समर्थन की कसौटी पर खरा उतरना एक बड़ी चुनौती बन गई है।