बार्सापारा में आईसीसी महिला वनडे विश्व कप 2025 – पिच रिपोर्ट व भारत-श्रीलंका टक्कर
जब हरमनप्रीत कौर, भारत की महिला टीम की कप्तान और चमरि अतपट्टू, श्रीलंका की महिला टीम की कप्तान ने अपने-अपने पक्षों को तैयार किया, तो आईसीसी महिला वनडे विश्व कप 2025 की शुरुआत बार्सापारा स्टेडियम, गुहावाटी में होने वाली थी। यह पहलू दर्शकों को सीधे बॉल के साथ जुड़ने का मौका देगा, क्योंकि पिच पर शुरुआती ओवर में बॉल के झुकाव और तेज़ी दोनों मिलते हैं।
इतिहास और पृष्ठभूमि
बार्सापारा क्रिकेट स्टेडियम की पहली अंतरराष्ट्रीय मैच 2017 में हुई, और तब से यह मैदान तेज़ बॉल और उच्च स्कोर दोनों का शिकार रहा है। 2023 में भारत‑श्रीलंका के बीच पुरुषों की ODI में भारत ने 373/7 बनाकर जीत दर्ज की – वह मैच अभी भी स्टेडियम के सबसे अधिक स्कोर वाला माना जाता है। इस सफलता ने महिलाओं के टूर्नामेंट में भी बाउन्स और पेस से भरपूर पिच की उम्मीदें बढ़ा दीं।
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल (ICC) ने पिछले दो वर्षों में इस स्टेडियम को 3‑4 बार टेस्ट और ODI के लिए चयनित किया, जिसका मतलब है कि ग्राउंड स्टाफ को पिच तैयार करने में काफी अनुभव है।
पिच की तकनीकी विशेषताएँ
पिच का मुख्य भाग – जो "सेंटर पिच" कहा जाता है – में घास की परत न्यूनतम है, जिससे बैट्समैन शुरुआती ओवर में भरोसा कर सकते हैं। शुरुआती 10 ओवर में बॉल को हल्का स्विंग मिलता है, फिर जैसे‑जैसे गेंद चलती है, पिच थोड़ा धीमा पड़ती है, जिससे स्पिनरों का महत्व बढ़ जाता है।
- बॉल की रफ़्टिंग (Bounce) 30 सेमी तक नियमित रहती है।
- पहले पावरप्ले में औसत स्कोर 55‑60 रन रहता है।
- दूसरे इनिंग में स्पिनर का औसत इकनॉमी 4.2 के करीब रहता है।
नीचे के मौसम के आंकड़े भी इस बात का संकेत देते हैं – 7 फ़रवरी को अधिकतम तापमान 36 °C, न्यूनतम 25 °C, और दोपहर के समय धूप तेज़ रहने की संभावना है। इन परिस्थितियों में बॉल पिच पर जल्दी‑जल्दी ग्रिप खो देती है, इसलिए फील्डिंग टीम को वेरिएशन और लीन फील्ड पर ध्यान देना पड़ेगा।
प्रारम्भिक सामना – भारत बनाम श्रीलंका
पहले मैच में भारत ने टॉस जीतकर बॉलिंग के बजाय पहले बैटिंग का विकल्प चुना। इतिहास बताता है कि 35‑इडीयो में भारत ने 31 जीतें हासिल की हैं, जबकि श्रीलंका ने सिर्फ 3 जीतें ही बनाई हैं। इस आँकड़े को देखते हुए कई विशेषज्ञों ने कहा कि भारत का जीतना "औसत" है, पर फिर भी टॉस के बाद क्या रणनीति अपनाई जाएगी, यही रोमांचक बात रही।
मैच 3 पिएम पर शुरू हुआ, और पहले 10 ओवर में भारत ने 78/1 का तेज़ शुरुआत किया, जहाँ हर्मनप्रीत कौर ने 42 रन की अडिग पारी खेली। दूसरी टीम के शुरुआती बॉलर, अमाया मूर्तिक (श्रीलंका), को पहले ओवर में ही हल्का साइड‑स्लिप मिल गया, जिससे गेंद के रियल टाइम वैरिएशन का असर साफ़ दिखा।
कुल मिलाकर भारत ने 5 विकेटों पर 243 रन बनाकर लक्ष्य तय किया। श्रीलंका के कैप्टन, चमरि अतपट्टू, ने 55* की बहुमूल्य पारी खेली, पर अंत में 6 विकेटों के साथ 218/6 से पीछे रह गईं। भारत ने 11 बॉल पर 6 विकेट लेकर जीत को पक्का किया।
अन्य उल्लेखनीय मुकाबले और संभावित उलटफेर
टूर्नामेंट के शुरुआती दौर में एक चौंकाने वाला मोड़ आया जब बांग्लादेश ने इंग्लैंड के खिलाफ पैदा किया था। बांग्लादेश केवल 178 रन पर सीमित हो गई, पर फिर भी 30वें ओवर तक उनका दबाव इतना था कि इंग्लैंड को उलटा जटिल स्थिति का सामना करना पड़ा। अंत में इंग्लैंड ने 9 विकेट से जीत हासिल की, लेकिन यह घटना दर्शाती है कि पिच की शुरुआती तेज़ी से किसी भी टीम को असहज कर सकती है।
इसके अलावा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड की टीमों ने भी स्पिनर के वैरिएशन का बेहतर इस्तेमाल करने की योजना बनाई है, जिससे राइट‑आर्म फेवरिट्स को कम मौके मिल सकते हैं।
विशेषज्ञों की राय और विश्लेषण
पर्यटनीय खेल विशेषज्ञ डॉ. राजेश गुप्ता ने कहा, “बार्सापारा की पिच शुरुआती बॉलिंग में थोड़ी ह्यूमिडिटी देता है, जिससे स्विंग बॉलर को थोड़ा लाभ मिलता है, पर जैसे‑जैसे ओवर आगे बढ़ते हैं, बॉल का ग्रिप कम हो जाता है और स्पिनर को मौका मिलता है।” उन्होंने यह भी जोड़ते हुए बताया कि “टीमों को टॉस जीतने के बाद बॉलिंग की बजाय बैटिंग चुननी चाहिए, क्योंकि पहले 15 ओवर में स्कोरिंग रेट अधिक रहता है।”
कोच सुमन वर्मा, भारत महिला टीम की प्रमुख बॉलिंग कोऑर्डिनेटर, ने टीम को “रिज़र्व बॉलर” के रूप में पैरावर्टिंग स्पिनर रखने की सलाह दी, ताकि बॉल की गति घटने पर तुरंत प्रभावी लगाव पैदा किया जा सके।
भविष्य की संभावनाएँ और अगले चरण
टूर्नामेंट के अगले हाफ में कर्नाटक, दक्षिण अफ्रीका और दक्षिण एशिया की टीमें इस पिच पर खेलेंगी। उनके प्रदर्शन को देखते हुए कहा जा सकता है कि इस साल के आधे में पिच की गति और बाउन्स दोनों में थोड़ा बदलाव आ सकता है, क्योंकि मौसम में हल्की बरसात की संभावना है। इस बदलाव से स्पिनर के लिए और भी अधिक अवसर पैदा हो सकते हैं।
प्रत्येक टीम को यह समझना होगा कि “पिच पर कब बॉलर का रोल बदलता है” – यानी तेज़ बॉल से स्पिनर तक का संक्रमण। जो टीम इस पल को सही तरीके से पढ़ेगी, वही इस टूर्नामेंट में आगे बढ़ पाएगी।
मुख्य तथ्य
- इवेंट: आईसीसी महिला वनडे विश्व कप 2025
- स्थान: बार्सापारा क्रिकेट स्टेडियम, गुहावाटी
- टॉस जीतने के बाद अधिकांश टीमें पहले बैटिंग का विकल्प चुनती हैं
- पहले 10 ओवर में औसत स्कोर 55‑60, दोनो इन्ंनिंग्स में स्पिनर की इकनॉमी 4.2
- हर्मनप्रीत कौर (भारत) और चमरि अतपट्टू (श्रीलंका) ने क्रमशः अपनी टीमों का नेतृत्व किया
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
बार्सापारा स्टेडियम की पिच किस तरह की है?
पिच में शुरुआती ओवर में तेज़ बाउन्स और हल्का स्विंग मिलता है, जबकि 30वें ओवर के बाद गति धीरे‑धीरे घटती है और स्पिनर का रोल बढ़ जाता है। यह बकीटल पर अधिक रन बनाने के लिए उपयुक्त है, पर देर से बॉलर को वैरिएशन की जरूरत पड़ती है।
भारत और श्रीलंका की महिलाओं के बीच पिछले रिकॉर्ड क्या है?
35 वनडे मैचों में भारत ने 31 जीतें हासिल की हैं, केवल 3 बार श्रीलंका ने जीत पाई है, और एक मैच रद्द हो गया था। इससे भारत की टीम को मनोवैज्ञानिक लाभ मिलता है।
टूर्नामेंट के दौरान मौसम का प्रभाव क्या रहेगा?
फ़रवरी के शुरुआती हफ्ते में दिन में तापमान 34‑36 °C तक पहुँच सकता है, जबकि शाम को 24‑26 °C रहती है। अगर हल्की बिंदुशा या धुंध लगती है तो पिच की पेस और बाउन्स थोड़ी धीमी हो सकती है, जिससे स्पिनर को फायदा मिलेगा।
कौन से खिलाड़ी इस टूर्नामेंट में प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं?
भारत की हर्मनप्रीत कौर अपना अनुभव और धक्का देती हैं, जबकि तेज़ बॉलर वेंकटेशवरू (यदि फिट हों) स्पिन में प्रमुख हो सकते हैं। श्रीलंका की चमरि अतपट्टू और उषा चंद्रिका (सेंटर फॉर्म) भी कोटा बनाते रहेंगे।
आगे के मैचों में कौन सी रणनीति सफल हो सकती है?
टॉस जीतने के बाद पहले बैटिंग का विकल्प लेना आम है, पर यदि टीम को पहले बॉलर में भरोसा है तो प्रारम्भिक पावरप्ले में झटके वाली गेंदें चलाना फायदेमंद हो सकता है। अंत में स्पिनरों को सक्रिय रखना और फ़ील्ड प्लेसमेंट को बदलते हुए रखना आवश्यक रहेगा।
Agni Gendhing
अक्तूबर 7, 2025 AT 22:20बार्सापारा की पिच के बारे में वही पुरानी साजिश की दवाइयाँ फिर से चल रही हैं!! सरकार की गुप्त एजेंसियाँ यहाँ बॉलिंग मशीनें डाल रही होंगी, इसलिए ही बॉल इतनी स्कीम वाली चलती है... सुनो, अगर यह पिच वैसी ही रहती है तो हर मैच में वही ही ‘ड्रामा’ रहेगा, और हम सब को वही पुराना ‘वर्ल्ड कप’ का सिनेमा देखने को मिलेगा!!
jitha veera
अक्तूबर 16, 2025 AT 13:28अरे अभी मत रहो, तुम्हारी साज़िश वाली थ्योरी सिर्फ़ रोमांच के लिये है, असली बात तो ये है कि इस पिच पर बॉल की झुकाव तो परिपूर्ण है, लेकिन बॉलर टीमों को अपना प्लान बदलना चाहिए। बैटिंग के शुरुआती ओवर में टॉस जीतना तो फायदेमंद है, लेकिन अगर बॉलर स्पिन का सही इस्तेमाल करे तो शॉर्ट में ही मैच उलट सकता है। इस तरह की साजिशों में मत फँसो, आँकड़े खुद बोलते हैं।
Sandesh Athreya B D
अक्तूबर 25, 2025 AT 04:37बार्सापारा की पिच को देख के तो लग रहा है जैसे हर बॉल में ‘अफूरा’ हो गई हो! पहले ओवर में बॉल बौछार जैसी तेज़, फिर जैसे‑जैसे 30‑वे ओवर पास होते हैं, बॉल जैसे घास की चादर पर फ्रीज हो जाए! अगर तुम्हें लग रहा है कि ये सब ‘ड्रामा’ है, तो भी तुम्हें स्वीकार करना पड़ेगा कि एनी हीरोइन की पिच नहीं है, ये तो बस एक साधारण लव‑स्टोरी है जहाँ बैटिंग और बॉलिंग के बीच प्यार‑इन्फेक्शन होता है।
Jatin Kumar
नवंबर 2, 2025 AT 18:45है न मज़ेदार? 😄 इस पिच पर दोनों टीमों को एक‑दूसरे के खेल को समझना पड़ेगा। शुरुआती ओवर में तेज़ बॉल से रफ़्टिंग हाई है, इसलिए ओपनिंग बैट्समैन को डिफ़ेंडर की लाइने पर दाब डालना चाहिए। फिर धीरे‑धीरे स्पिनर को पैराप्लेन की तरह लिफ़्ट मिलती है, तो इसका फ़ायदा उठाकर रनों को जल्दी‑जल्दी छुपाना चाहिए। टीम के भीतर रोलर कोऑर्डिनेशन बढ़े तो फील्ड भी एनरिच हो जाएगा। चलो, मिल‑जुल के इस पिच को जीतते हैं! 🙌
Anushka Madan
नवंबर 11, 2025 AT 09:53बॉलिंग की खराबी को देखते हुए मैच का परिणाम गारंटीकृत है।
Govind Reddy
नवंबर 20, 2025 AT 01:02एक सोचने वाला कहेगा कि इस पिच का वास्तविक अर्थ केवल बॉल की गति नहीं, बल्कि वह मानसिक संतुलन है जो खिलाड़ियों को चाहिए। यदि बॉलर तेज़ी से बॉल छोड़ता है, तो बॉलर की आत्म‑विश्वास का स्तर बढ़ता है; यदि स्पिनर धीमी बॉलें डालता है, तो वह टीम के भीतर शांति का प्रतीक बन जाता है। संक्षिप्त में, पिच एक दार्शनिक सवाल है: क्या हम जीतेंगे या सिर्फ़ खेल पाएँगे? इस सवाल का उत्तर केवल मैदान पर मिल सकता है।
KRS R
नवंबर 28, 2025 AT 16:10बार्सापारा की पिच वाकई में एक टेस्टिंग ग्राउंड है, लेकिन केवल तेज़ बॉल ही नहीं, स्पिन की भी कड़ी पड़ी है। अगर बॉलर को लग रहा है कि वह अल्पकालिक फॉर्मेट में ही जीत सकता है, तो कुछ भी नहीं बदलेगा। टीम को चाहिए कि वे बॉल की रफ़्टिंग और बाउंड्री के अनुसार अपनी रणनीति बनायें, नहीं तो जीत के सपने हवा में उड़ जाएंगे।
Deepak Rajbhar
दिसंबर 7, 2025 AT 07:18देखिए, पिच की बात करें तो यह एक क्लासिक केस है जहाँ ‘ज्ञान‑प्रकाश’ और ‘ड्रामा’ एक साथ मिलते हैं! 😂 पहले 10 ओवर में बॉल तेज़, फिर धीरे‑धीरे स्पिनर को वर्चुअल पॉवर देना, यह सब सिर्फ़ आंकड़े नहीं बल्कि रणनीति का हिस्सा है। अगर टीम ने इस पिच को समझा नहीं, तो वे ‘क्लिक‑बाइट’ के ही शिकार बन जाएंगे। इसलिए, हर बॉलर को चाहिए कि वह अपने आर्म के साथ-साथ दिमाग को भी तेज़ रखे।
Hitesh Engg.
दिसंबर 15, 2025 AT 22:27मैं मानता हूँ कि इस पिच की विविधता को समझना हर टीम की प्राथमिकता होनी चाहिए। पहले ओवर में तेज़ बॉल का बाउन्स 30 सेमी तक रहता है, जिससे ओपनिंग बैट्समैन को जल्दी‑जल्दी रनों की तलाश करनी होगी। फिर जैसे‑जैसे ओवर आगे बढ़ते हैं, बॉल की ग्रिप घटती है और स्पिनर को अधिक अवसर मिलते हैं। इस बदलाव को देखते हुए टीम को चाहिए कि वे फील्डिंग प्लेसमेंट को लचीलापन दें, ताकि स्कोरिंग रेट को नियंत्रित किया जा सके। अगर बॉलरों ने इस ट्रांज़िशन को ठीक से मैनेज किया, तो टॉस जीतने की बजाय बॉलिंग चुनना फायदेमंद रहेगा। अंत में, पिच की किसी भी स्थितियों में निरंतर संवाद और रणनीति समायोजन ही जीत की कुंजी है।
Zubita John
दिसंबर 24, 2025 AT 13:35कोचिंग के नजरिए से देखूँ तो यहाँ स्पिनर की वैरिएशन पर फोकस करना ज़रूरी है। पिच के शुरुआती हेड पर पावरप्ले की रेंज में बॉल की सप्लाई तेज़ होती है, इसलिए बॉलर को फॉलो‑अप बॉल की टेम्पो को कंट्रोल करना चाहिए। स्पिनर को चाहिए कि वह ग्रिप को एन्हांस करने के लिए ‘हैंड‑ड्रिल्स’ करे, और फील्डर को चाहिए कि वे ‘स्लिप‑कॉर्नर’ जैसे पॉइंट्स को कवर करने के लिए एन्हांस्ड पोजिशनिंग अपनाएँ। इस तरह का ‘जार्गन‑हैवी’ एप्रोच पिच के बदलते कंडीशन को सटीक रूप से टार्गेट करेगा।