बेंगलुरु ट्रैफिक को सुलझाने की दुविधा: सिड़रमैया का वैकल्पिक रास्ता और अजिम प्रेेमजी का उत्तर

बेंगलुरु ट्रैफिक को सुलझाने की दुविधा: सिड़रमैया का वैकल्पिक रास्ता और अजिम प्रेेमजी का उत्तर

सिड़रमैया का प्रस्ताव और कारण

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिड़रमैया ने 19 सितंबर 2025 को विप्रो संस्थापक अजिम प्रेेमजी को एक औपचारिक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने बेंगलुरु के ऑउटर रिंग रोड (ORR) के इब्लर जंक्शन पर बढ़ती भीड़ को कम करने के लिए विप्रो के सरजापुर कैंपस के भीतर सीमित वाहन चलाने की अनुमति मांगी। इस विचार का मूल आधार एक त्वरित समाधान पर था, जिससे ऑफिस‑आवर्स के दौरान 30‑40 प्रतिशत तक यात्रा में कमी आए।

मोहल्ले के कई ट्रैफ़िक विशेषज्ञों ने इस प्रस्ताव को अनुकूल देखा, क्योंकि सिमुलेशन स्टडी से पता चला था कि कैंपस की लिंक रोड को खोलने से सरजापुर‑ORR कॉरिडोर पर यात्रा समय लगभग 38 प्रतिशत घट सकता है। शहर की अर्थव्यवस्था मुख्यतः आईटी सेक्टर पर निर्भर है, और ORR को ‘एक्सपोर्ट हब’ के रूप में भी देखा जाता है। इसलिए मुख्यमंत्री ने इसे ‘तुरंत, प्रभावी और स्थायी’ उपाय के रूप में प्रस्तुत किया।

लेकिन इस प्रस्ताव के पीछे सिर्फ़ ट्रैफ़िक की समस्या नहीं थी, बल्कि बेंगलुरु के विकास की दिशा को लेकर गहरी सोच भी छिपी थी। मुख्यमंत्री ने कहा था कि अगर इस तरह से कुछ राजमार्गीन सड़कों को खोल दिया जाए, तो बहु‑पक्षीय सहयोग से अन्य निजी संस्थानों को भी इस रास्ते पर विचार करने की उम्मीद होगी। इस प्रकार, यह प्रस्ताव एक बड़े ‘स्मार्ट सिटी’ मॉडल की तैयारियों में एक छोटा कदम माना जा रहा था।

अजिम प्रेेमजी का उत्तर और वैकल्पिक योजना

अजिम प्रेेमजी का उत्तर और वैकल्पिक योजना

विप्रो के चेयरमैन अजिम प्रेेमजी ने 24 सितंबर को एक विचारशील पत्र के माध्यम से इस अनुरोध को अस्वीकार किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरजापुर कैंपस SEZ (स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन) में स्थित है और वहां के नियमों के कारण सार्वजनिक ट्रैफ़िक को अनुमति देना कानूनी रूप से संभव नहीं। साथ ही, कैंपस की सुरक्षा, ऑपरेशनल गोपनीयता और कर्मचारी सुविधाओं को देखते हुए इस तरह का खुलापन ‘स्थायी समाधान’ नहीं माना जा सकता।

प्रेेमजी ने यह भी कहा कि निजी सम्पत्ति को सार्वजनिक रास्ता बनाना केवल एक ‘सिल्वर बुलेट’ नहीं हो सकता। उन्होंने एक वैकल्पिक दिशा-निर्देश प्रस्तुत किया: बेंगलुरु की जटिल ट्रैफ़िक समस्या के लिए एक व्यापक, वैज्ञानिक अध्ययन की जरूरत है, जिसमें विश्व‑स्तरीय शहरी परिवहन विशेषज्ञों को शामिल किया जाए। इस अध्ययन के आधार पर एक दीर्घकालिक रोडमैप तैयार किया जाएगा, जो अल्प‑मैध्यम‑दीर्घकालिक उपायों को सम्मिलित करेगा।

विप्रो इस पहल में गंभीर सहयोग देने को तैयार है और अध्ययन के खर्च का उल्लेखनीय हिस्सा वह वहन करने की बात कर रहा है। इस पहल में निम्नलिखित बिंदु प्रमुख हैं:

  • शहरी गतिशीलता पर मौजूदा डेटा का विस्तृत विश्लेषण।
  • विभिन्न सड़कों, मेट्रो, बीआरटीएस और साईकल लेन की सामंजस्यपूर्ण योजना।
  • SEZ और निजी क्षेत्रों के साथ समन्वय बनाकर ‘ऑन‑डिमांड’ परिवहन विकल्पों का विकास।
  • भविष्य की जनसंख्या वृद्धि और आर्थिक विस्तार को देखते हुए लचीलापन प्रदान करने वाले इन्फ्रास्ट्रक्चर की रूपरेखा।

यह जवाब सिर्फ़ ‘ना’ नहीं, बल्कि एक विस्तृत समाधान के मानचित्र को सामने लाने की कोशिश है। बेंगलुरु की बेंगलुरु ट्रैफिक समस्या को हल करने के लिए गंभीर, बहु‑आयामी प्रयासों की आवश्यकता है, न कि केवल एक ही द्वार खोलने से।

शहर में पहले भी कई निजी कंपनियों से इस तरह के अनुरोध आए हैं — जैसे कि इन्फोसिस और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के कैंपस के आसपास। अक्सर ऐसा कहा गया कि ‘एक छोटा रस्त़ खोल देना’ ही पर्याप्त नहीं, क्योंकि ट्रैफ़िक का मुख्य कारण असंतुलित योजना, सार्वजनिक परिवहन की कम पहुँच और अनियमित निर्माण कार्य है। इससे यह स्पष्ट होता है कि स्थायी सुधार के लिए नीति‑निर्माता, निजी क्षेत्र और सामाजिक भागीदारों के बीच एक सामूहिक, डेटा‑आधारित मंच आवश्यक है।

भविष्य में, यदि इस वैज्ञानिक अध्ययन को समय पर लागू किया जाता है, तो बेंगलुरु के कई जाने‑माने टैक्ड टॉपिक जैसे ‘बंद सड़कों का पुनः खोलना’, ‘इलेक्ट्रिक माइक्रो‑मोबिलिटी को बढ़ावा देना’, और ‘डिजिटल ट्रैफ़िक मैनेजमेंट सिस्टम’ को एकीकृत किया जा सकेगा। यह न केवल ORR पर वर्तमान भीड़ को कम करेगा, बल्कि शहर को एक नई, सस्टेनेबल गतिशीलता की दिशा में ले जाएगा।

11 टिप्पणि

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    Arya Murthi

    सितंबर 27, 2025 AT 00:19
    ये सब बातें सुनकर लग रहा है जैसे बेंगलुरु का ट्रैफिक एक जीवित जानवर है जिसे हम अपने दिमाग से घुंघराला बना रहे हैं। सिड़रमैया का विचार तो सीधा था, लेकिन अजिम जी ने इसे एक फिलॉसफी में बदल दिया। अब तो हमें एक डॉक्टरेट करना पड़ेगा बस एक सड़क खोलने के लिए।
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    Manu Metan Lian

    सितंबर 28, 2025 AT 02:39
    इस प्रस्ताव को अस्वीकार करना निजी संपत्ति के अधिकारों का सम्मान है। यह एक अत्यंत उच्च स्तरीय निर्णय है। जिन लोगों को लगता है कि एक छोटी सी रास्ता खोल देने से समस्या हल हो जाएगी, वे शहरी योजना के मूल सिद्धांतों से परिचित नहीं हैं। यह एक अवगुण है।
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    Debakanta Singha

    सितंबर 28, 2025 AT 14:46
    सच तो ये है कि दोनों ओर की बात में तर्क है। लेकिन एक छोटा रास्ता खोलने से ट्रैफिक घटेगा नहीं। हमें बस एक बार अपने दिमाग को बंद करके देखना होगा - लोग क्यों गाड़ी चलाते हैं? क्योंकि बस नहीं आती। अगर बस और मेट्रो अच्छे होंगे, तो कोई विप्रो के अंदर घुसने की कोशिश नहीं करेगा।
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    swetha priyadarshni

    सितंबर 30, 2025 AT 06:57
    मुझे लगता है कि हम इस मुद्दे को बहुत व्यक्तिगत रूप से ले रहे हैं। अजिम प्रेेमजी के वैकल्पिक प्रस्ताव में एक गहरा सामाजिक और तकनीकी दृष्टिकोण छिपा हुआ है - जो केवल बेंगलुरु के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक मॉडल बन सकता है। जब हम डेटा, निजी क्षेत्र और सार्वजनिक नीति को एक साथ लाते हैं, तो यह एक नई तरह की शहरी जिम्मेदारी की शुरुआत होती है। यह बहुत बड़ी बात है, और इसका अर्थ सिर्फ ट्रैफिक नहीं, बल्कि एक नए भारत का निर्माण है।
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    tejas cj

    अक्तूबर 1, 2025 AT 10:42
    ये सब बकवास है। अजिम जी ने बस इतना कहा कि हम नहीं खोलेंगे और फिर एक 10 पेज का रिपोर्ट लिख दिया। इन्फोसिस के बाहर की सड़क तो रोज बंद हो जाती है और कोई बोलता नहीं। ये सब फैंसी वाली बातें हैं जो बस बाहरी लोगों को इम्प्रेस करने के लिए हैं। जब तक बस नहीं आएगी तब तक ये सब चिकन बातें हैं।
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    Chandrasekhar Babu

    अक्तूबर 1, 2025 AT 11:52
    लेवल-1 स्मार्ट सिटी इंफ्रास्ट्रक्चर अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत आवश्यक है। एम-एल बेस्ड ट्रैफिक फ्लो मॉडलिंग + सीजेड-कॉरिडोर इंटीग्रेशन और ऑन-डिमांड मोबिलिटी सिस्टम्स के बिना कोई भी ट्रैफिक मैनेजमेंट स्ट्रैटेजी असफल होगी। इसलिए अजिम प्रेेमजी का प्रस्ताव एक डिस्क्रिप्टिव एनालिसिस का आधार है।
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    Pooja Mishra

    अक्तूबर 1, 2025 AT 20:10
    मुझे नहीं समझ आ रहा कि ये लोग अपनी संपत्ति को क्यों छिपाते हैं? जब हम सब इस शहर के लिए काम करते हैं, तो उनकी सुरक्षा क्यों हमारे लिए अधिक महत्वपूर्ण है? यह एक नैतिक अपराध है। अगर विप्रो के अंदर रास्ता नहीं खोला जा सकता, तो क्या उनके कर्मचारियों को घर से ऑफिस जाने के लिए 3 घंटे बिताने की जरूरत है? यह अन्याय है।
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    Khaleel Ahmad

    अक्तूबर 3, 2025 AT 11:48
    दोनों तरफ से बातें सही हैं। लेकिन अगर हम एक दूसरे को सुनें तो बेहतर होगा। एक छोटा रास्ता खोलना नहीं, और एक बड़ा अध्ययन करना भी नहीं। बस दोनों को साथ लेकर शुरू कर दें। एक छोटा ट्रायल रन चलाएं। अगर काम करे तो बढ़ा दें। अगर नहीं तो वापस ले लें। यही असली तरीका है।
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    Liny Chandran Koonakkanpully

    अक्तूबर 5, 2025 AT 02:23
    अजिम प्रेेमजी बस अपने कैंपस को बचाना चाहते हैं। ये सब फिलॉसफी बस एक शेल्टर है। यह जानता हूं क्योंकि मैंने उनके कैंपस में काम किया है। वहां तो एक बार गाड़ी घुस गई तो दो घंटे तक बच्चे भी नहीं निकल पाए। ये लोग अपनी सुरक्षा को शहर की जिम्मेदारी से ज्यादा महत्व देते हैं। ये अहंकार है।
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    Anupam Sharma

    अक्तूबर 6, 2025 AT 17:19
    क्या तुम लोग अभी भी सोच रहे हो कि ट्रैफिक का मुद्दा सड़कों के बारे में है? नहीं भाई। ये तो दिमाग का मुद्दा है। हम इतने ज्यादा गाड़ी चलाते हैं क्योंकि हम डरते हैं कि बस या मेट्रो में जाकर किसी के साथ बैठना पड़ेगा। ये सब जाल है। एक छोटी सी सड़क खोलो या न खोलो - इससे कुछ नहीं बदलेगा। बस एक बार अपने दिमाग को बदलो।
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    Payal Singh

    अक्तूबर 8, 2025 AT 04:19
    मुझे लगता है कि यह एक अवसर है - न कि एक टकराव। अगर हम निजी कंपनियों को इस प्रक्रिया में शामिल करते हैं, तो वे अपने संसाधनों के साथ इसे एक सामूहिक प्रयास बना सकते हैं। हमें उनकी चिंताओं को समझना चाहिए, लेकिन उनके साथ बातचीत करना चाहिए। यह एक बहुत बड़ी बात है: शहर का भविष्य, न कि एक सड़क का भविष्य। हमें इसे एक साथ बनाना होगा।

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