भारत में पहला एमपॉक्स मामला पुष्टि: वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल और अफ्रीका में वैक्सीन में देरी के कारण

भारत में पहला एमपॉक्स मामला पुष्टि: वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल और अफ्रीका में वैक्सीन में देरी के कारण सित॰, 12 2024

भारत में एमपॉक्स का पहला मामला

भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने घोषणा की है कि देश में पहली बार एमपॉक्स संक्रमण का मामला पाया गया है। यह मामला 9 सितंबर, 2024 को सामने आया जब एक युवा व्यक्ति, जो हाल ही में एक ऐसे देश से वापस लौटा था जहां एमपॉक्स का प्रकोप जारी है, एमपॉक्स पॉजिटिव पाया गया। मरीज को तत्काल दिल्ली के लोक नायक जयप्रकाश नारायण (एलएनजेपी) अस्पताल में भर्ती कराया गया है, और उनकी हालत स्थिर बनी हुई है।

एमपॉक्स क्या है?

एमपॉक्स, जिसे मंकीपॉक्स के नाम से भी जाना जाता है, एक वायरल संक्रमण है जो मंकीपॉक्स वायरस के कारण होता है। यह वायरस संक्रमित व्यक्ति, जानवरों, या संक्रमण से संक्रामित वस्तुओं के संपर्क में आने से फैल सकता है। एमपॉक्स के लक्षणों में त्वचा पर रैशेज, बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ में दर्द, ऊर्जा की कमी और सूजी हुई लसीका ग्रंथियों शामिल हैं।

वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 14 अगस्त, 2024 को एमपॉक्स को वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया। यह घोषणा तब की गई जब दुनिया भर में एमपॉक्स के मामलों की संख्या तेजी से बढ़ रही थी, विशेष रूप से डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो में क्लेड 1बी नामक नए स्ट्रेन के सामने आने के बाद।

एमपॉक्स के प्रभाव

2022 से, 120 से अधिक देशों में एमपॉक्स के मामले सामने आए हैं, जिनमें 100,000 से अधिक प्रयोगशाला पुष्टि मामले और 220 से अधिक मौतें शामिल हैं। इस संक्रमण ने खासकर अफ्रीका में गंभीर परिणाम उत्पन्न किए हैं, जहां स्वास्थ्य सुविधाएं पहले से ही कई चुनौतियों से जूझ रही हैं।

भारत में एमपॉक्स के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय

भारत सरकार ने इस स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए कड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय किए हैं। संपर्क का पता लगाना, संक्रमित व्यक्तियों की निगरानी और व्यापक जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं ताकि एमपॉक्स के प्रसार को रोका जा सके। फिलहाल, सार्वजनिक स्तर पर कोई व्यापक खतरा नहीं बताया जा रहा है।

अफ्रीका में वैक्सीन की देरी

एमपॉक्स का प्रभाव झेल रहे अफ्रीकी देशों, विशेष रूप से डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो में, वैक्सीन की उपलब्धता एक बड़ी समस्या बन चुकी है। एमपॉक्स के टीके, जैसे MVA-BN, LC16, और ACAM2000 उपलब्ध हैं, लेकिन उनकी कीमतें काफी अधिक हैं। $50 से $75 प्रति खुराक की लागत के चलते अधिकांश अफ्रीकी देशों के लिए इन्हें खरीदना मुश्किल हो रहा है।

वैक्सीन विकास और वितरण

नए एमपॉक्स टीकों और दवाओं का विकास तेजी से हो रहा है। बायोएनटेक और भारत के सीरम इंस्टिट्यूट द्वारा विकसित किए जा रहे टीकों से बड़ी उम्मीदें लगाई जा रही हैं। डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो को डब्ल्यूएचओ की घोषणा के लगभग एक महीने बाद अपने पहले टीकों की खेप प्राप्त हुई, लेकिन यह मात्रा आवश्यकता की तुलना में बहुत कम है।

जन स्वास्थ्य और आगे की राह

जन स्वास्थ्य और आगे की राह

एमपॉक्स का प्रकोप एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती बन चुका है, जो अंतरराष्ट्रीय सहयोग और समर्थन की मांग करता है। भारत समेत विभिन्न देश, इस वायरस के प्रसार को रोकने के लिए कड़े कदम उठा रहे हैं। जर्बदस्त अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत है ताकि आवश्यक सुविधाएं और टीके समय पर उपलब्ध कराए जा सकें और सामूहिक स्वास्थ्य संकट से निपटा जा सके।