भारत vs इंग्लैंड 4वां टेस्ट: इंग्लैंड 133 रन पीछे, भारत की 358 के बाद डकेट-क्रॉले ने खोला बड़ा शुरुआती युगल
मैनचेस्टर के इमारेट्स ओल्ड ट्रैफोर्ड पर चल रहे भारत और इंग्लैंड के बीच चौथे टेस्ट के दूसरे दिन का अंत एक अजीब सी शाम के साथ हुआ — जहां इंग्लैंड ने अपनी पहली पारी में 225/2 बनाकर भारत के 358 के जवाब में सिर्फ 133 रनों का अंतर बनाया, लेकिन फिर भी खेल का रुख बिल्कुल उल्टा दिख रहा था। भारत ने टॉस खोकर बल्लेबाजी की, और फिर भी एक ऐसा स्कोर बनाया जिसके बाद इंग्लैंड को लगा जैसे वो जीत के करीब हैं। लेकिन ये टेस्ट ऐसा नहीं है जहां स्कोरबोर्ड ही सब कुछ बताता हो।
स्टोक्स का बल्लेबाजी और गेंदबाजी का जादू
बेंजामिन एंड्रयू स्टोक्स, 34, इंग्लैंड के कप्तान और एक अद्वितीय ऑलराउंडर, ने बुधवार को टॉस जीतकर बल्लेबाजी करने के बजाय गेंदबाजी का फैसला किया — एक ऐसा निर्णय जिसे पिछले 150 सालों में किसी ने भी ओल्ड ट्रैफोर्ड पर जीत के लिए नहीं लिया। और फिर उन्होंने अपनी गेंदबाजी से इस फैसले को साबित कर दिया। 5 विकेट के साथ 72 रन के आंकड़े उनकी निरंतरता और ताकत का सबूत हैं। जब भारत की पारी बंद हुई, तो लगा जैसे इंग्लैंड के पास एक बड़ा लाभ है। लेकिन ये लाभ असल में एक बहुत बड़ा चुनौती भी था।
डकेट और क्रॉले: इंग्लैंड की आशा के दो स्तंभ
इंग्लैंड की पारी की शुरुआत बेंजामिन जेम्स डकेट (29) और जैकरी विलियम क्रॉले (27) ने ऐसे की कि लगा जैसे ये दोनों एक ही बल्ले से खेल रहे हैं। 166 रन का ओपनिंग साझेदारी — ये टेस्ट क्रिकेट में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है, खासकर जब आपको एक बेहतरीन बॉलिंग लाइन के खिलाफ खेलना हो। डकेट ने 94 रन बनाए, जो उनकी करियर का सबसे बड़ा टेस्ट स्कोर है। क्रॉले ने 84 रन बनाकर अपने बल्ले से दर्शकों को दंग कर दिया। दोनों के आउट होने के बाद इंग्लैंड का बल्लेबाजी लगभग रुक गया। ये दो बल्लेबाज ने टीम को एक अच्छी स्थिति दी, लेकिन क्या ये लाभ बरकरार रहेगा? ये अभी बाकी है।
भारत की टीम: घाव और आशा का मिश्रण
भारत की पारी एक अजीब तरह की थी — आधी बची हुई थी, आधी नष्ट हो चुकी थी। ऋषभ पंत (27) ने 54 रन बनाए, लेकिन उनकी बल्लेबाजी के बीच में ही एक बड़ा डर आया। एक रिवर्स स्वीप के दौरान उनके पैर पर गेंद लगी, और उन्हें बाहर ले जाया गया। लेकिन फिर, एक अद्भुत वापसी — वे वापस आए, ब्रायडन कार्से के खिलाफ एक सीधा छक्का मारा, और फिर जोफ्रा आर्चर के खिलाफ आउट हुए। ये दृश्य दर्शकों के लिए एक भावनात्मक लहर बन गया।
भारत ने अपनी टीम में तीन बदलाव किए — अंशुल कम्बोज (22) ने अपना टेस्ट डेब्यू किया, जबकि जसप्रीत बुमराह (31) ने पीठ की चोट के बावजूद वापसी की। बुमराह की वापसी ने भारत की बॉलिंग को एक नया आयाम दिया। उनकी गेंदबाजी ने न सिर्फ रन रोके, बल्कि इंग्लैंड के बल्लेबाजों को एक बड़ा मनोवैज्ञानिक दबाव डाला।
इतिहास का बोझ: ओल्ड ट्रैफोर्ड में भारत की असफलता
भारत के लिए ये टेस्ट सिर्फ एक मैच नहीं है — ये एक इतिहास के खिलाफ लड़ाई है। ओल्ड ट्रैफोर्ड में भारत कभी नहीं जीता। नौ टेस्ट मैच, नौ हार। ये आंकड़ा कोई साधारण सांख्यिकी नहीं है। ये एक भावनात्मक बोझ है जो खिलाड़ियों के मन पर छाया रहता है। ये मैच जीतने के लिए भारत को सिर्फ अच्छा खेलना नहीं, बल्कि इतिहास को तोड़ना होगा।
अगला दिन: दो अलग-अलग लक्ष्य
तीसरे दिन, शुक्रवार, 26 जुलाई, इंग्लैंड के लिए लक्ष्य स्पष्ट है — अपनी पारी को बढ़ाएं, 350+ बनाएं, और भारत को एक बड़ा लक्ष्य दें। लेकिन भारत के लिए लक्ष्य अधिक जटिल है। उन्हें इंग्लैंड के बाकी आठ विकेट जल्दी से लेने होंगे। अगर वे देर तक खेलने देंगे, तो इंग्लैंड का लाभ बढ़ जाएगा। लेकिन अगर वे जल्दी विकेट ले लें, तो वे अपनी दूसरी पारी को जल्दी शुरू कर सकते हैं — और शायद एक बड़ा डिक्लेरेशन लगा सकते हैं।
पिच, मौसम और निर्णायक तत्व
ओल्ड ट्रैफोर्ड की पिच इस बार बहुत समतल रही — बल्लेबाजों के लिए आसान, गेंदबाजों के लिए चुनौतीपूर्ण। दोनों दिनों में मौसम साफ रहा, कोई बारिश नहीं, कोई विलंब नहीं। इसलिए खेल का रुख सिर्फ खिलाड़ियों के कौशल पर निर्भर कर रहा है। और यहीं पर टीमों के नेतृत्व की भूमिका अहम हो जाती है।
मैच अधिकारी और टीम बदलाव
मैच के लिए अंतरराष्ट्रीय अधिकारी तैनात थे — पाकिस्तान के आहसन राजा और ऑस्ट्रेलिया के रॉड टकर ओफिसियल अम्पायर, श्रीलंका के कुमार धर्मसेना टीवी अम्पायर, न्यूजीलैंड के जेफ क्रो मैच रेफरी। इंग्लैंड ने चोटिल शोएब बशीर की जगह लियम डेविसन (35) को वापस बुलाया, जिन्होंने यशस्वी जैसवाल को आउट किया। भारत ने करुण नायर, नितिश कुमार रेड्डी और आकाश दीप के बजाय साई सुधर्शन, शार्दूल ठाकुर और अंशुल कम्बोज को शामिल किया।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
भारत के लिए ओल्ड ट्रैफोर्ड में जीत क्यों इतनी मुश्किल है?
भारत ने पिछले नौ टेस्ट मैचों में ओल्ड ट्रैफोर्ड में कभी जीत नहीं हासिल की है। यहां की पिच आमतौर पर बल्लेबाजों के लिए अनुकूल होती है, लेकिन लंबे समय तक बल्लेबाजी करने के लिए टीम को बहुत अधिक समर्पण और धैर्य चाहिए। भारत की टीम अक्सर अपने बल्लेबाजों को लंबे समय तक बल्लेबाजी करने के लिए तैयार नहीं करती, जिससे यहां की पिच का फायदा इंग्लैंड को मिल जाता है।
स्टोक्स की गेंदबाजी ने भारत की पारी को कैसे प्रभावित किया?
स्टोक्स ने भारत की पारी में 5 विकेट लेकर एक बड़ा असर डाला। उन्होंने विकेट गिराने के बाद भी बल्लेबाजों को दबाव बनाए रखा। उनकी गेंदबाजी की गति और विचलन ने भारत के बल्लेबाजों को बार-बार गलत फैसले लेने पर मजबूर किया। उनका आउट बनना भारत के लिए एक बड़ी चोट थी, लेकिन उनकी बल्लेबाजी के बाद टीम की भावनात्मक ऊर्जा बढ़ गई।
ऋषभ पंत की वापसी ने मैच के रुख को कैसे बदला?
पंत की वापसी ने भारत के लिए एक भावनात्मक जीत दी। उनके चोट लगने के बाद टीम का आत्मविश्वास गिर गया था, लेकिन उनकी वापसी ने टीम को एक नया जोश दिया। उनके छक्के और आक्रामक खेल के तरीके ने इंग्लैंड के बॉलर्स को दबाव में डाला। उनका स्कोर 54 रन था, लेकिन उनकी उपस्थिति ने टीम के लिए अधिक महत्वपूर्ण था।
अंशुल कम्बोज के डेब्यू का महत्व क्या है?
22 साल के अंशुल कम्बोज का डेब्यू भारत की भविष्य की बॉलिंग रैंकिंग के लिए एक बड़ा संकेत है। उन्होंने अपने पहले टेस्ट मैच में एक विकेट लिया, जिससे यह दिखाई देता है कि भारत की युवा पीढ़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तैयार है। उनकी गेंदबाजी का अंदाज अभी भी विकसित हो रहा है, लेकिन उनकी निरंतरता और दबाव बनाने की क्षमता उन्हें भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बना रही है।
अगले दिन का मैच कैसे खेला जाएगा?
इंग्लैंड के लिए अगले दिन लक्ष्य अपनी पारी को 400+ तक ले जाना है, ताकि भारत को एक बड़ा लक्ष्य मिले। भारत के लिए लक्ष्य इंग्लैंड के बाकी आठ विकेट जल्दी से लेना है। अगर वे दोपहर तक तीन विकेट ले लें, तो वे अपनी दूसरी पारी शुरू कर सकते हैं और एक बड़ा डिक्लेरेशन लगा सकते हैं। ये वह बिंदु है जहां मैच का निर्णय हो सकता है।
क्या भारत के लिए यह सीरीज अभी भी बची है?
हां, लेकिन ये बहुत कठिन है। भारत अभी सीरीज में 2-1 से पीछे है। अगर वे इस टेस्ट में जीतते हैं, तो सीरीज 2-2 से बराबर हो जाएगी, और अंतिम टेस्ट में उनके पास जीत का मौका होगा। लेकिन अगर वे हार गए, तो इंग्लैंड सीरीज जीत लेगा। इसलिए यह मैच सिर्फ एक टेस्ट नहीं, बल्कि एक सीरीज का अंतिम अवसर है।