Bhushan Power Liquidation: सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद JSW Steel को मिली राहत, आगे क्या होंगे रास्ते?
सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद भूषण पावर का लिक्विडेशन अटका
29 मई 2025 को जब हर कोई भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड (BPSL) के भविष्य पर नजरें गड़ाए बैठा था, तब सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसा आदेश दिया जिसने सबको चौंका दिया। कोर्ट ने कंपनी के लिक्विडेशन यानी परिसमापन की कार्यवाही पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी। अब JSW Steel को 2 जून तक पुनर्विचार याचिका दायर करने की मोहलत मिल गई है।
यह रोक ऐसे समय में आई जब भूषण पावर के पूर्व प्रवर्तक संजय सिंघल खुद लिक्विडेशन मांग रहे थे। लेकिन कोर्ट ने 'जस्टिस के हित में' स्थिति यथावत रखने को कहा, जिससे NCLT में आगे की कार्रवाई फिलहाल थम गई है। इस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने, जो कि लेनदारों की समिति (CoC) की तरफ से पेश हुए, सुझाव दिया कि NCLT में अगली सुनवाई 10 जून तक टाल दी जाए। JSW और BPSL के वकील करंजवाला एंड कंपनी ने इस पूरी प्रक्रिया में कानूनी सलाह दी।
IBC के सख्त नियम, बैंकों के 47,000 करोड़ दांव पर
भूषण पावर की कहानी 2017 में RBI की 'डर्टी डजन' लिस्ट से शुरू हुई थी। तब NCLT ने JSW Steel की 19,700 करोड़ रुपये की समाधान योजना 2019 में पास कर दी थी। लेकिन ऊँची अदालतों तक मामला पहुंचा और आखिरकार 2 मई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने JSW की इस योजना को खारिज कर दिया। कोर्ट का साफ संदेश था कि भूषण पावर जैसे बड़े मामलों में दिवाला व दीवानी संहिता (IBC) का सख्ती से पालन होना चाहिए, सिर्फ लेनदार समिति की मंजूरी काफी नहीं मानी जाएगी।
इस एक फैसले का असर बैंकों, वित्तीय संस्थानों और हजारों कर्मचारियों पर पड़ा। वित्तीय लेनदारों के दावे 47,000 करोड़ से भी ज्यादा हैं, वहीं ऑपरेशनल लेनदारों के करीब 621 करोड़ रुपये फंसे हैं। इधर फिच जैसी रेटिंग एजेंसी ने संभावना जताई है कि JSW Steel लिक्विडेशन के दौरान फिर से बोली लगाने की कोशिश कर सकता है, अगर कोर्ट से अनुमति मिली।
फिलहाल, सरकार और CoC के सलाहकार यह मूल्यांकन कर रहे हैं कि कोर्ट के इस फैसले के बाद क्या कानूनी या व्यवस्थापकीय समाधान निकाला जाए, जिससे समाधान योजना की प्रक्रिया में भरोसा बना रहे और लिक्विडेशन की जटिलताएं कम हो सकें। असली चिंता ये है कि क्या ऐसी कठोरता से भविष्य में खरीदार मिल पाएंगे या फिर हर मामला लटकता ही रहेगा।
Prakash chandra Damor
जून 11, 2025 AT 06:04ये सब लॉ और कोर्ट की बातें तो बहुत अच्छी हैं लेकिन आखिर किसकी जेब से पैसे निकल रहे हैं ये कोई बताएगा क्या? बैंकों के 47,000 करोड़ का नुकसान तो सामान्य आदमी के बचत से ही भरा जा रहा है। ये सब बड़े बड़े नाम लेकर खेल रहे हैं लेकिन छोटे लोगों का क्या होगा?
Liny Chandran Koonakkanpully
जून 11, 2025 AT 09:17ये JSW वाले तो बस घूम रहे हैं जैसे बाज जो शिकार का इंतजार कर रहा हो 😤 अब तो सुप्रीम कोर्ट भी उनके पीछे पड़ गया है। लेकिन जब तक भूषण के पुराने लोग बाहर नहीं निकलते, तब तक ये फिल्म चलती रहेगी। ये सब ठेकेदारी है भाई साहब 😒
Anupam Sharma
जून 12, 2025 AT 22:32अगर IBC का पालन ही सख्ती से होता तो ये सारे मामले 5 साल पहले ही फिक्स हो चुके होते। लेकिन अब तो लोगों ने ये समझ लिया है कि अदालतें बस टाइम खा रही हैं। कोई न कोई बात लगाकर सब कुछ टाल देते हैं। असली समस्या ये है कि लेनदारों की इच्छा और कानून के बीच एक विशाल खाई है। और इस खाई में फंसे हैं हजारों लोग जिनका कोई ध्यान नहीं रखता।
Payal Singh
जून 14, 2025 AT 08:46मुझे लगता है कि इस समय असली जीत वो है जो न तो बड़े बिजनेस वाले हासिल करते हैं, न ही कोर्ट या बैंक... बल्कि वो जो हम सब एक साथ चाहते हैं: न्याय, शांति, और एक ऐसा भविष्य जहाँ एक छोटा भी कर्मचारी अपनी नौकरी खोए बिना रह सके। 🙏 ये सब बातें तो बहुत बड़ी हैं, लेकिन असली जीत छोटे छोटे इंसानों के जीवन में छिपी है।
avinash jedia
जून 15, 2025 AT 17:27अरे यार, ये JSW तो बस एक नए दिन का इंतजार कर रहा है। लिक्विडेशन हो जाए तो वो फिर से बोली लगाएगा, वरना तो इसका लाभ तो किसी और को मिल जाएगा। ये सब बातें बस धुआं हैं।
Shruti Singh
जून 16, 2025 AT 09:55ये सब लोग बस टाल रहे हैं, लेकिन जब तक ये बातें नहीं खत्म होती, तब तक लाखों लोग बेरोजगार रहेंगे। ये न्याय क्या है? ये तो बस एक खेल है जिसमें बड़े बड़े लोग अपना खेल खेल रहे हैं। अब तो कानून को भी बदल देना चाहिए।
Kunal Sharma
जून 17, 2025 AT 03:50इस मामले में सिर्फ एक चीज़ सच है: जब बड़े बिजनेस के नाम से लेनदारी और लेनदेन का खेल शुरू हो जाता है, तो न्याय की चादर भी अब एक चादर नहीं रह जाती, बल्कि एक बड़ी सी चादर बन जाती है जिसके नीचे सब कुछ दफन हो जाता है। आज JSW के लिए राहत, कल किसी और के लिए आपदा। ये चक्र तो बस चलता रहेगा, जब तक हम लोग अपनी आंखें नहीं खोल लेते।
Raksha Kalwar
जून 18, 2025 AT 05:39सुप्रीम कोर्ट का फैसला सही है। IBC का मकसद बस बैंकों को पैसा वापस देना नहीं, बल्कि एक स्वस्थ आर्थिक व्यवस्था बनाना है। अगर इस बार भी बड़े बिजनेस वाले नियम तोड़ देंगे, तो कल किसी और कंपनी का भी यही हाल होगा। इस बार भूषण है, कल कोई और हो सकता है। ये न्याय का सवाल है, न कि किसी के फायदे का।