दिल्ली पुलिस ने रोहित‑गोल्डी बराड़ गैंग के हत्यारों को मुठभेड़ में पकड़ा

दिल्ली पुलिस ने रोहित‑गोल्डी बराड़ गैंग के हत्यारों को मुठभेड़ में पकड़ा

जब दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 3 अक्टूबर 2025 को कापसहेड़ा में एक धैर्य‑पूरित मुठभेड़ खत्म की, तो यह साफ हो गया कि अंतरराष्ट्रीय अपराधियों के भारतीय सड़कों पर निशाने को आसान नहीं बनाया जा सकता। इस अभियान में दो अलग‑अलग ड्राई‑रन‑शूटर्स की गिरफ़्तारी हुई—एक समूह रोहित गोदारागोल्डी बराड़ के नेटवर्क से जुड़ा था, और दूसरा समूह का लक्ष्य सिर्फ एक ही था: मुनव्वर फारूकी को खत्म करना।

कापसहेड़ा में पहली मुठभेड़

सुबह के हल्के साए में, कापसहेड़ा मुठभेड़कापसहेड़ा, दिल्ली का सामना पुलिस ने किया। दो षड्यंत्रकारियों—आकाश राजपूत और महिपाल—का ध्वस्त कर दिया गया। आकाश राजपूत को राजस्थान के श्री गंगानगर से ट्रैक किया गया, जबकि महिपाल का जुड़ाव भरतपुर से था। दोनों के नाम गंगानगर और गुजरात के बेमिसाल मामलों में वॉन्टेड थे, हालांकि दिल्ली पुलिस के हाथ में उनका कोई स्थानीय रिकॉर्ड नहीं था। मुठभेड़ के दौरान महिपाल के पैर में गोली लगी, जिससे वह तुरंत गिर गया।

जैतपुर‑कालिंदी कुंज में दूसरी मुठभेड़

पिछले दिन, यानी 2 अक्टूबर 2025 को, नई दिल्ली के जैतपुर‑कालिंदी कुंज रोड पर एक और आँकड़ा गिरा। यहाँ पुलिस ने दो और शॉटर्स—राहुल (पानीपत से) और साहिल (भिवानी से)—को गिरफ्तार किया। इन दोनों को सीधे रोहित‑गोल्डी बराड़ गैंग का हिस्सा कहा जाता है, और दोनों को बताया गया कि वे मुनव्वर फारूकी की हत्या की सुपारी लेकर आए थे।

गैंग का अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन

एनडीटीवी के एक विशेष रिपोर्ट के अनुसार, इस हत्या की साजिश को मूल रूप से रोहित गोदारा और गोल्डी बराड़ ने विदेश से रची थी। उनका दावा था कि मुनव्वर फारूकी ने हिंदू देवताओं को लेकर कई विवादास्पद चुटकुलों से कुछ समुदायों को आँधा-धन्य कर दिया, इसलिए "इक़ादत" की भावना से उन्होंने इस जटिल योजना को अंजाम देना चाहा। यह कथन पूरी तरह से अनसदेह नहीं रह गया, क्योंकि गिरफ्तारियों के बाद कई बंदियों ने बताया कि उन्होंने पहले मुंबई और बेंगलुरु में फारूकी के खिलाफ कई हिट‑जॉब्स की तैयारी की थी। बेंगलुरु में एक बार तो हमला करने की कोशिश भी की गई थी, पर फारूकी ने अचानक अपनी कार बदल दी, जिससे घटना टल गई।

मुनव्वर फारूकी पर हमला क्यों?

फारूकी एक छोटा‑पाढ़ा, लेकिन बहुत ही चटपटे स्टैंड‑अप कॉमेडियन हैं। उनका अंदाज़ काफी विवादित रहा है; उन्होंने अक्सर धार्मिक विषयों पर सवाल उठाए हैं, जिससे कई धर्मी समूहों में असहजता पैदा हुई। इस बार, उनके उन चुटकुलों ने अंतरराष्ट्रीय अपराध नेटवर्क को झकझोर दिया, क्योंकि गैंग ने इस कोहरा को हथियार बना कर भारत में अपने प्रभाव को बढ़ाने की सोची।

पुलिस की प्रतिक्रिया और भविष्य की राह

इस कदम को भारत की आपराधिक सुरक्षा में एक बड़ा मील का पत्थर माना जा रहा है। दिल्ली पुलिस इस को जीतकर दिखा रही है कि विदेशी‑मध्यस्थ गुटों द्वारा भारत के नागरिकों को निशाना बनाना अब आसान नहीं रहेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे “हिट‑जॉब” नेटवर्क को तोड़ने के लिए निरंतर जासूसी, अंतर‑राष्ट्रीय सहयोग और स्थानीय अपराधियों के साथ सख्त कट्टरता जरूरी है।

  • अभियान में कुल चार शॉटर्स को गिरफ्तार किया गया।
  • गिरफ़्तारी के समय दो बंदियों को चोटें आईं, एक का पैर नहीं छूटा।
  • गायब हुए लीडर‑पर्सन रोहित गोदारा और गोल्डी बराड़ अब अंतरराष्ट्रीय वारंट पर हैं।
  • मुनव्वर फारूकी की सुरक्षा को बढ़ाने के लिए विशेष प्रोटोकॉल लागू किए गए।
Frequently Asked Questions

Frequently Asked Questions

क्या इस गिरफ्तारी से मुनव्वर फारूकी को सुरक्षा मिल गई?

पुलिस ने फारूकी के घर और कार्यस्थल के आसपास 24 घंटे की गार्डिंग लागू कर दी है, और उनके अगले शो के लिए अतिरिक्त सुरक्षा उपाय भी किए गए हैं। फिर भी, विशेषज्ञ कहते हैं कि गैंग के पास अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क है, इसलिए सतर्कता बनी रहेगी।

रोहित गोदारा और गोल्डी बराड़ को अंतरराष्ट्रीय वारंट क्यों जारी किया गया?

इन पर कई देशों में हथियार तस्करी, मानव तस्करी और हिट‑जॉब्स के आरोप हैं। इस कारण अंतरराष्ट्रीय पुलिस संगठन (INTERPOL) ने उनके विरुद्ध रेड नोटिस जारी किया है, जिससे उनका कोई भी देश में प्रवेश मुश्किल हो गया है।

गिरफ़्तारी में किन अन्य राज्यों के शिकारी शामिल थे?

आकाश राजपूत और महिपाल ने पहले राजस्थान और गुजरात में कई उच्च‑प्रोफ़ाइल केसों में हिस्सा लिया था, जबकि राहुल और साहिल पानीपत‑भिवानी क्षेत्र से थे। सभी ने दिल्ली के स्थानीय गुटों के साथ मिलकर काम किया था।

क्या इस मामले में कोई राजनीतिक प्रभाव देखा गया?

कुछ राजनीतिक विश्लेषकों ने कहा कि इस तरह की अंतरराष्ट्रीय गैंगस्टर गतिविधियों को रोकना अब राष्ट्रीय सुरक्षा का अहम हिस्सा बन गया है, और इस खबर ने संसद में इस विषय पर चर्चा को तेज़ किया है।

आगे पुलिस कौन से कदम उठाने की योजना बना रही है?

पोलिस ने कहा है कि वे अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करेंगे, साइबर‑रिसर्च यूनिट को और सशक्त करेंगे, और ऐसे हिट‑जॉब नेटवर्क को पूरी तरह खात्मा देने के लिए एक विशेष टास्क‑फ़ोर्स बनाते हुए सतत निगरानी करेंगे।

3 टिप्पणि

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    manoj jadhav

    अक्तूबर 3, 2025 AT 07:32

    वाह! क्या कार्रवाई! 🎉

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    saurav kumar

    अक्तूबर 10, 2025 AT 03:28

    दिल्ली पुलिस की इस कार्रवाई से देश की सुरक्षा में भरोसा बढ़ता है। यह कदम स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपराध साजिशों को रोकने में मदद करेगा।

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    Ashish Kumar

    दिसंबर 17, 2025 AT 09:23

    यह घटना सिर्फ एक स्थानीय मुठभेड़ नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय जाल का खुलासा है।
    रोहित‑गोल्डी बराड़ जैसे गैंगों का भारत में असर पर सवाल उठते हैं।
    पुलिस की तेज़ी और सटीकता को बधाई देना चाहिए।
    लेकिन इस साजिश के पीछे कई अनियंत्रित तत्व अभी भी छिपे हुए हैं।
    सरकार को इन तत्वों को जड़ से खत्म करने के लिए व्यापक योजना बनानी होगी।
    ऐसा नहीं होना चाहिए कि एक बार पकड़ बना ले, फिर सब ठीक हो जाए।
    अपराधी नेटवर्क अक्सर नई पहचान और नए मार्ग बनाते हैं।
    इसलिए निरंतर जासूसी और अंतरराष्ट्रीय सहयोग अनिवार्य है।
    पुलिस को साइबर इकाई को सशक्त बनाकर डिजिटल पदचिह्नों को ट्रैक करना चाहिए।
    साथ ही स्थानीय स्तर पर सामुदायिक सहयोग भी जरूरी है।
    जनता को भी सतर्क रहना चाहिए और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत सूचना देनी चाहिए।
    मीडिया को रिपोर्टिंग में संतुलन रखना चाहिए, न कि सनसनीखेजी।
    यह मामला दर्शाता है कि कॉमेडी में भी संवेदनशीलता की कमी कितनी खतरनाक हो सकती है।
    फिर भी मुनव्वर फारूकी को सुरक्षा देना एक सही कदम है।
    भविष्य में ऐसे हिट‑जॉब्स को रोकने के लिए कड़ा कानून बनाना आवश्यक है।
    कुल मिलाकर, यह सफलता हमें आशा देती है कि न्याय की खोज में कोई भी गैंग बड़ी नहीं है।

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