जोहो के श्रीधर वेम्बू का फ्रेशवर्क्स छंटनी पर विरोध: शेयरधारकों की प्राथमिकता बनाम कर्मचारियों का महत्व
नव॰, 9 2024जोहो के संस्थापक श्रीधर वेम्बू ने हाल ही में फाइनेंशियल वर्ल्ड और कॉर्पोरेट समाज में एक गहन चर्चा की शुरुआत करते हुए 'वास्तविक' पूंजीवाद और समाजवाद के बीच अंतर को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है। उनका कहना है कि कंपनियों को अपने कर्मचारियों को शेयरधारकों पर प्राथमिकता देनी चाहिए, विशेष रूप से उस समय जब छंटनी की नौबत आती है, जैसा कि हाल ही में फ्रेशवर्क्स द्वारा 660 कर्मचारियों की छंटनी के दौरान देखा गया। यह घटना तब और गंभीर हो जाती है जब यह स्पष्ट होता है कि फ्रेशवर्क्स के पास एक अरब डॉलर की नकद राशि है और यह 20% की दर से विकास कर रही है।
श्रीधर वेम्बू की टिप्पणियां: वर्तमान स्थिति पर दृष्टिकोण
श्रीधर वेम्बू ने हाल ही में फ्रेशवर्क्स द्वारा की गई इस छंटनी को 'नग्न लालच' करार दिया है। उनका तर्क है कि इस अमूर्त लालच के बजाय कंपनी को अपने रकम के एक हिस्से, $400 मिलियन, को किसी नये व्यापार में निवेश करना चाहिए था, बजाए कि वे स्टॉक खरीदने में प्रयोग करें। वेम्बू के अनुसार वास्तविक पूंजीवाद केवल शेयरधारकों को खुश रखने के बारे में नहीं है, बल्कि यह कर्मचारियों की भलाई और उनके प्रति निष्ठा को भी बढ़ावा देता है। वे कहते हैं कि ऐसे लालच में घिरने से कंपनियों का विकास नहीं होगा, बल्कि यह उनके बुनियादी मानवीय मूल्यों को आघात पहुँचाता है।
शेयरधारकों का प्राथमिकता: कंपनियों की असली नीति?
वर्तमान कॉर्पोरेट संस्कृति, विशेष रूप से अमेरिकी प्रणाली में, अक्सर शेयरधारकों के लाभ की प्राथमिकता को महत्व देती है। वेम्बू का मानना है कि यह दृष्टिकोण भारतीय कॉर्पोरेट संस्कृति के लिए उपयुक्त नहीं है और भारतीय कंपनियों को इसे अंधाधुंध अपनाने से बचना चाहिए। उन्होंने इंटेल को एक उदाहरण के रूप में उजागर किया, जिसका विभाजन इसीलिए हुआ क्योंकि उन्होंने अपने कर्मचारियों की तुलना में वॉल स्ट्रीट की प्राथमिकताओं को अधिक महत्व दिया।
कर्मचारियों की भलाई: 'सच्चा' पूंजीवाद का मूल
वेम्बू ने विभिन्न कंपनियों, जैसे कि एनवीडिया, एएमडी, और ताइवान की टीएसएमसी का उदाहरण दिया, जिन्होंने अपने कर्मचारियों की भलाई को केंद्र में रखा है और उनकी सफलता को सच्चे पूंजीवाद का प्रमाण बताया है। उनका मानना है कि एक कंपनी की दीर्घकालिक स्थिरता का आधार इसके कर्मचारी होते हैं, जो उनके उत्पाद की गुणवत्ता में योगदान देते हैं और उनकी सेवा का प्रतिफल देते हैं।
जोहो और फ्रेशवर्क्स के बीच प्रतिस्पर्धा और कानूनी विवाद का पुराना इतिहास है। 2020 के एक मुकदमे में, जोहो ने आरोप लगाया था कि फ्रेशवर्क्स ने गोपनीय जानकारी चुरा ली थी। ऐसे विवादपूर्ण परिदृश्य में वेम्बू की प्रतिक्रिया ने उद्योग के सदस्यों और पर्यवेक्षकों के बीच एक नई चर्चा की शुरुआत की है।
भारत का भविष्य: सीख और नेतृत्व
वेम्बू का दृष्टिकोण ऐसा लगता है कि अब भारत के लिए एक विकल्प प्रस्तुत करता है कि वह अपनी आर्थिक और व्यावसायिक प्रक्रियाओं का पुनः मूल्यांकन कैसे कर सकता है। उन्हें भरोसा है कि अन्य देशों में अस्तित्व में आने वाली व्यवस्था से सीख लेते हुए भारत को अपनी स्वतंत्र पहचान और दृष्टिकोण को बनाए रखना चाहिए। यह धारणा कि पूंजीवाद चुनिंदा लाभार्थियों का नहीं, बल्कि पूरे इक्विटी के लिए होता है, काफी मायने रखती है।