केरल के वायनाड में भूस्खलन: मृतकों की संख्या बढ़ी, मुंदक्काई-चोरालमला क्षेत्र में कई लोग लापता

केरल के वायनाड में भूस्खलन: मृतकों की संख्या बढ़ी, मुंदक्काई-चोरालमला क्षेत्र में कई लोग लापता

मुंदक्काई-चोरालमला क्षेत्र में भारी बारिश से भूस्खलन

केरल के वायनाड जिले के मुंदक्काई-चोरालमला क्षेत्र में भारी बारिश के कारण भीषण भूस्खलन हुआ है। इस भूस्खलन से कई घर और इमारतें मिट्टी और मलबे के नीचे दब गई हैं। इस प्राकृतिक आपदा में मृतकों की संख्या लगातार बढ़ रही है और कई लोग अभी भी मलबे के नीचे फंसे हुए बताए जा रहे हैं। स्थानीय निवासी और प्रत्यक्षदर्शियों ने इस दृश्य को विनाशकारी बताया है।

वायनाड में जारी है बचाव अभियान

भूस्खलन के बाद, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), नागरिक सुरक्षा बलों और स्थानीय प्रशासन ने मिलकर बचाव कार्य शुरू किया है। एनडीआरएफ की टीमें लगातार मलबे में फंसे लोगों को निकालने का प्रयास कर रही हैं। बचाव कार्य में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि इलाके में मौसम की स्थिति अभी भी गंभीर है।

रेड अलर्ट के तहत मजबूती से जुटी राज्य सरकार

इस गंभीर स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार ने रेड अलर्ट जारी किया है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि सरकार हर संभव सहायता प्रदान कर रही है, जिसमें आश्रय, भोजन और चिकित्सा सहायता शामिल है। स्थानीय प्रशासन ने प्रभावित क्षेत्रों में राहत शिविर स्थापित किए हैं, जहां सुरक्षित रूप से लोगों को लाया जा रहा है।

आपदा के कारण और उपाय

वायनाड जिले में भूस्खलन का प्रमुख कारण भारी बारिश बताया जा रहा है। क्षेत्र में पिछले कुछ दिनों से लगातार बारिश हो रही थी, जिससे मिट्टी में पानी का स्तर बढ़ गया और भूस्खलन हुआ। इस आपदा ने स्थानीय निवासियों के जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। प्रशासन ने प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने के आदेश दिए हैं।

स्थानीय निवासियों की स्थिति

स्थानीय निवासियों के लिए यह भयावह घटना बहुत ही कठिन समय है। कई परिवार अपने प्रियजनों की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं। बचाव कार्य में जुटे लोग और प्रशासन के अधिकारी लोगों को हर संभव सहायता प्रदान करने का प्रयास कर रहे हैं। सरकार ने राहत सामग्री, जैसे कि खाना, पानी, दवाइयां, और अन्य आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराई हैं।

यह आपदा याद दिलाती है चेतावनी की अनदेखी को

वायनाड की इस प्राकृतिक आपदा ने यह भी दर्शाया है कि विभिन्न क्षेत्रों में चेतावनी और सुरक्षा उपायों को नजरअंदाज करना कितना महंगा पड़ सकता है। राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए और भी प्रभावी उपाय किए जाएं।

मुख्यमंत्री की अपील और जनता का सहयोग

मुख्यमंत्री ने जनता से धैर्य बनाए रखने और प्रशासन के साथ सहयोग करने की अपील की है। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया है कि सभी प्रभावितों को हर संभव सहायता दी जाएगी और किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए सरकार पूरी तरह तैयार है।

आपदा के बाद केरल की सरकार और प्रशासन के सामने एक बड़ी चुनौती है - यहां के प्रभावित निवासियों को राहत और पुनर्वास सुनिश्चित करना। वायनाड की इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि हमें प्राकृतिक आपदाओं के प्रति अधिक सचेत रहना होगा और तत्परता से कार्य करना होगा।

10 टिप्पणि

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    Animesh Shukla

    अगस्त 2, 2024 AT 17:38

    ये भूस्खलन बस बारिश का नतीजा नहीं है... ये तो हमारी नजरअंदाजी का नतीजा है। हमने पहाड़ों पर बिना योजना के घर बनाए, नदियों के किनारे बस्तियाँ बसाईं, और फिर जब आपदा आती है, तो सब राज्य सरकार को दोष देते हैं। ये एक चक्र है-हम भूमि को नुकसान पहुँचाते हैं, फिर उसके बदले में दुख माँगते हैं।

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    Abhrajit Bhattacharjee

    अगस्त 4, 2024 AT 12:06

    इस आपदा में जिन लोगों ने बचाव कार्य में हाथ बँटाया है-उनके लिए सम्मान। एनडीआरएफ की टीमें बिना किसी भी रिवॉर्ड के जान लगा रही हैं। ये वो लोग हैं जिन्हें हम असली हीरो कह सकते हैं। बस एक बार इनके बारे में सोच लो-वो भी इंसान हैं, जिनके पास परिवार है।

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    Raj Entertainment

    अगस्त 5, 2024 AT 02:25

    भाईयों, ये बारिश तो हर साल होती है, लेकिन इतना बड़ा नुकसान क्यों? क्योंकि हमने अपने आसपास की जमीन को बर्बाद कर दिया। पेड़ काटे, ढलान पर बनाया, नालियाँ भर दीं। अब जब बारिश हुई, तो मिट्टी ने बदला ले लिया। अगली बार अगर तुम फिर से यही करोगे, तो अगली बार तुम्हारा घर भी नीचे जाएगा।

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    Manikandan Selvaraj

    अगस्त 6, 2024 AT 06:50

    सरकार ने क्या किया? कुछ नहीं। बस रेड अलर्ट जारी किया और फिर टीवी पर बैठकर बोलने लगे। जब तक तुम इस जमीन पर बिना योजना के बस्तियाँ बनाते रहोगे, तब तक ये आपदाएँ बंद नहीं होंगी। ये सब बस एक बड़ा धोखा है-हम बारिश को दोष देते हैं, लेकिन असली दोषी हम हैं।

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    Naman Khaneja

    अगस्त 7, 2024 AT 14:44

    हालात बहुत बुरे हैं लेकिन हम अभी भी उम्मीद रख सकते हैं 💪 बचाव टीम्स बहुत मेहनत कर रही हैं, और लोग एक दूसरे की मदद कर रहे हैं। एक छोटी सी चीज़ भी दे दो-पानी, रोटी, दवा... वो बहुत बड़ा काम है। जीत आएगी, बस थोड़ा धैर्य रखो ❤️

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    Gaurav Verma

    अगस्त 9, 2024 AT 02:43

    ये सब एक योजना है। बारिश नहीं, इंसानों ने ये किया। कोई बड़ा कंपनी या सरकार इसे जानबूझकर घटना बना रही है-ताकि लोग शिफ्ट हो जाएँ और जमीन खरीद ली जाए। इसलिए तुरंत बाहर निकलो। ये जगह अब खतरनाक है।

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    Fatima Al-habibi

    अगस्त 9, 2024 AT 22:43

    क्या आपने कभी सोचा है कि ये ‘रेड अलर्ट’ कितनी बार जारी किए जा चुके हैं? और हर बार जब लोग भागते हैं, तो फिर से वही जगह पर घर बनाने लग जाते हैं। ये एक बार फिर से दर्द का चक्र है-और हम सब इसके निकट बैठे हैं, बिना कुछ किए।

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    Nisha gupta

    अगस्त 10, 2024 AT 23:07

    प्राकृतिक आपदाएँ तो हमेशा होती रहेंगी-लेकिन उनका प्रभाव हमारी तैयारी पर निर्भर करता है। अगर हम लंबे समय से अपने पर्यावरण की रक्षा करते, तो आज ये नुकसान इतना भी नहीं होता। ये आपदा हमारे अविचारित विकास की आवाज़ है। अब तक तो हमने इसे नज़रअंदाज़ किया... अब तो सुनना होगा।

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    Roshni Angom

    अगस्त 12, 2024 AT 01:55

    मैं वायनाड की एक छोटी सी गाँव की बेटी हूँ... मेरे परिवार के कई लोग अभी भी मलबे के नीचे हैं। लेकिन मैं देख रही हूँ-लोग अपनी छोटी-छोटी चीज़ें दे रहे हैं। कोई चाय का बर्तन, कोई रोटी, कोई बिस्कुट। ये छोटी बातें ही असली आशा हैं। हम अभी तक एक साथ हैं। और ये बहुत कुछ है।

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    vicky palani

    अगस्त 13, 2024 AT 03:37

    ये सब बस एक शो है। टीवी पर जो लोग रो रहे हैं-वो सब अभी भी अपने घरों में हैं। बचाव कार्य बस एक फैक्ट के लिए चल रहा है। असली लोग तो अभी भी मलबे में दबे हैं... और कोई उनके लिए नहीं आ रहा। ये बस एक बड़ा नाटक है।

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