किरोड़ी लाल मीणा: बीजेपी के अजेय विद्रोही, हर हाल में प्रभावशाली नेता
जुल॰, 5 2024किरोड़ी लाल मीणा का राजनीति में जन्म और शुरुआती दांव
किरोड़ी लाल मीणा, जो आज राजस्थान की राजनीति के एक प्रमुख चेहरा हैं, 72 वर्ष की उम्र में भी अपनी बेजोड़ ऊर्जा और अद्वितीय विद्रोही स्वभाव के लिए पहचाने जाते हैं। उनकी राजनीति की शुरुआत कब और कैसे हुई, इसका इतिहास बेहद दिलचस्प है। एक किसान परिवार से आने वाले मीणा ने अपने संघर्षों से राजस्थान की राजनीति में अपनी पहचान बनाई।
राजनीतिक जीवन के उतार-चढ़ाव
मीणा के राजनीतिक जीवन में कई मोड़ आए। एक समय वह बीजेपी का मुखर चेहरा थे, लेकिन समय-समय पर पार्टी से असहमतियों के चलते उन्होंने कई बार विद्रोह किया। 2013 से 2018 तक वे वसुंधरा राजे सरकार के बड़े आलोचक रहे। इसके बावजूद, 2018 में बीजेपी में वापसी करते ही उन्हें राजसभा भेजा गया। यह दिखाता है कि चाहे वे जितने भी असहमत हों या विद्रोही रवैया अपनाएं, बीजेपी के लिए वे एक महत्वपूर्ण नेता हैं।
मीणा समुदाय में शक्तिशाली पकड़
किरोड़ी लाल मीणा का प्रभाव सिर्फ उनके राजनीतिक कारनामों तक सीमित नहीं है, बल्कि उन्होंने 'मीणा' समुदाय में भी एक मजबूत पकड़ बनाई है। राजस्थान की 13.48% आबादी वाले इस समुदाय के बीच उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने एक अनजानी पार्टी को भी चार विधानसभा सीटें जिताई हैं।
पदों और जिम्मेदारियों का बोझ
किरोड़ी लाल मीणा वर्तमान में राजस्थान सरकार में चार महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारियां संभाल रहे हैं: कृषि और बागवानी, ग्रामीण विकास, आपदा प्रबंधन और राहत, और नागरिक सुरक्षा। इसके अलावा, वे सार्वजनिक अभिशाप निवारण का भी दायित्व रखते हैं। इतने बड़े और विविधतापूर्ण विभागों को संभालना किसी भी नेता के लिए एक बड़ी चुनौती होती है, लेकिन मीणा अपने अनुभव और कौशल से इसे बखूबी निभा रहे हैं।
अलग-अलग मुद्दों पर मीणा की मुखरता
राजनीति में मीणा की मुखरता और विद्रोही स्वभाव हमेशा से चर्चा का विषय रहे हैं। राजस्थान पात्रता परीक्षा (REET) प्रश्न पत्र लीक मामला हो या फिर 20,000 करोड़ रुपये का जल जीवन मिशन/पीएचईडी घोटाला, मीणा ने हर मुद्दे पर सरकार को आड़े हाथों लिया है। वे न सिर्फ प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं, बल्कि मीडिया के साथ 'स्वयंभू रेड्स' भी करते हैं, जिससे उनकी लोकप्रियता और भी बढ़ जाती है।
राजनीतिक घटनाएं और अहम पल
अक्सर राजनीतिक शांति के बीच भी मीणा ने अपनी अलग और मुखर शैली से नई बहसें छेड़ी हैं। जयपुर के आमगढ़ किले में मीणा समुदाय का झंडा फहराने का मामला हो या फिर पूर्वी राजस्थान में बीजेपी की हार के बाद अपना इस्तीफा सौंपना, मीणा ने अपने विद्रोही रवैये को बार-बार साबित किया है। उनका यह इस्तीफा अभी तक मुख्यमंत्री ने स्वीकार नहीं किया है, जिससे यह मुद्दा अभी भी सुलगता हुआ है।
बीजेपी में मीणा का महत्त्व
भले ही किरोड़ी लाल मीणा ने समय-समय पर बीजेपी के खिलाफ आवाज उठाई हो, पर उनकी पार्टी में अहमियत कभी कम नहीं हुई। वे राजस्थान की राजनीति में एक ऐसी शख्सियत हैं, जिनके बिना बीजेपी की रणनीतियों का अधूरा रहना तय है। उनके चार विभागों की जिम्मेदारी और राजसभा में उनकी उपस्थिति उनके कद को और भी प्रबल बनाती है।
आगे की राह
भविष्य में किरोड़ी लाल मीणा की राजनीति कैसी होगी, यह तो वक्त ही बताएगा। लेकिन इतना जरूर है कि वे अपने विद्रोही स्वभाव और जुझारू चरित्र से राजस्थान की राजनीति में अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखेंगे। उनकी हर कदम पर नजर रखने वाले उनके समर्थक और विरोधी दोनों ही हैं, जो उनकी आगामी रणनीतियों और फैसलों का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
निष्कर्ष
किरोड़ी लाल मीणा की राजनीति और उनके विद्रोही स्वभाव ने उन्हें राजस्थान की राजनीति में एक अलग पहचान दिलाई है। चाहे वे सरकार में हों या विपक्ष में, उनकी आवाज हमेशा सुनी गई है और उनकी नीतियों और कदमों का असर राज्य की राजनीति पर हमेशा पड़ा है। मीणा जैसे नेताओं की मौजूदगी राजनीतिक तंत्र को जीवंत और समृद्ध बनाती है।