मिथुन मानहास बनें BCCI के नए अध्यक्ष, जम्मू‑कश्मीर में जश्न

मिथुन मानहास बनें BCCI के नए अध्यक्ष, जम्मू‑कश्मीर में जश्न

जब मिथुन मानहास, पूर्व दिल्ली राज्य टीम के कप्तान और जम्मू‑कश्मीर के बेटे, को वार्षिक आम सभा (AGM)नई दिल्ली में BCCI के अध्यक्ष घोषित किया गया, तो यह खबर पूरे देश में गूँज‑उठी। यह नियुक्ति न सिर्फ़ भारतीय क्रिकेट पर असर डालती है, बल्कि जम्मू‑कश्मीर के युवा प्रतिभाओं के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन बन गई।

पृष्ठभूमि और इतिहास

सर्वोच्च क्रिकेट निकाय BCCI ने पिछले कुछ सालों में प्रमुख नेताओं को एक‑एक करके बदला है। 2019 में सौरव गांगुली ने पद ग्रहण किया, उसके बाद 2022 में रॉजर बिन्नी बने। अब मिथुन मानहास बिंदी लगाने वाले तीसरे पूर्व क्रिकेटर हैं जो इस उच्च पद पर पहुंचे हैं।

रॉजर बिन्नी ने अगस्त 2025 में पद छोड़ा, जिससे अस्थायी रूप से राजीव शुक्ला को इंटर्मीडियट अध्यक्ष बनाया गया। शुक्ला अब नए उप‑अध्यक्ष के रूप में सेवा करेंगे, और इस संक्रमण को बहुत ही सुगमता से पूरा किया गया।

नवीनतम विकास और तथ्य

यह एजीएम 28 सितंबर 2025 को BCCI के मुख्यालय में हुआ, जिसमें यूनियन मंत्री जितेंद्र सिंह ने X (पहले ट्विटर) पर बधाई संदेश दिया। उन्होंने कहा, “यह एक महत्त्वपूर्ण अवसर है, खासकर हमारे जम्मू‑कश्मीर के लिए।” इसी दिन कश्मीर के दो पौराणिक खिलाड़ी – शीटल (किश्तवार की धुधुड़ी) और मिथुन मानहास – ने एक साथ राष्ट्रीय मंच पर चमक बनाई।

नामांकन प्रक्रिया के दौरान, सौरव गांगुली, हरभजन सिंह और रघुराम भट को भी संभावित उम्मीदवार माना गया था। लेकिन उनके राज्य संगठनों ने समय सीमा (21 सितंबर 2025) तक फॉर्म नहीं जमा किया, इसलिए केवल मानहास ही बचे।

भुगतान की बात करें तो यह पद पूरी तरह से सम्माननीय है; कोई स्थाई वेतन नहीं। इसके बजाय दैनिक भत्ता दिया जाता है – घरेलू बैठकों में ₹40,000 और अंतरराष्ट्रीय स्थलों पर US$1,000 (लगभग ₹89,000)। यह व्यवस्था जय शाह के बीसीसीआई सचिव पद से हटने के बाद आई, जो 2024 में आईसीसी चेयरमैन चुने गए थे।

  • निर्वाचन तिथि: 28 सितंबर 2025
  • नominated candidate: केवल मिथुन मानहास
  • दैनिक भत्ता: ₹40,000 (भारत) / US$1,000 (विदेश)
  • पूर्व अध्यक्ष: रोज़र बिन्नी (ऑगस्ट 2025), सौरव गांगुली (2019‑2022)
  • नए उप‑अध्यक्ष: राजीव शुक्ला

संबंधित पक्षों की प्रतिक्रियाएँ

जितेंद्र सिंह ने कहा, “भौगोलिक दूरी चाहे जितनी भी हो, प्रतिभा को सीमित नहीं किया जा सकता। मिथुन की नियुक्ति इस बात का प्रमाण है।” दूसरी ओर, कई पत्रकारों ने इस एकतरफ़ा चुनाव प्रक्रिया को ‘सफाई’ का नारा दिया, जबकि कुछ ने कहा कि यह इंडियन क्रिकेट में factional politics को कम कर रहा है।

बाजार में भी हलचल है। बंडल का एक वरिष्ठ विश्लेषक, राहुल गुप्ता ने टिप्पणी की, “मानहास का खेल‑समझ और प्रशासनिक अनुभव जिनमें क्लब‑क्रैक्टिस से लेकर राज्य‑आधारित टूरनामेंट तक है, BCCI को फिर से जनता के भरोसे पर खड़ा करने में मदद करेगा।”

प्रभाव विश्लेषण और विशेषज्ञ मत

विशेषज्ञों का मानना है कि मानहास की नियुक्ति कई स्तरों पर असर डालेगी। भारत के युवा क्रिकेटरों के लिए यह प्रेरणा होगी, क्योंकि अब एक जम्मू‑कश्मीर के खिलाड़ी ने सबसे ऊँचा पद हासिल किया है।

एक सामाजिक वैज्ञानिक, डॉ. सुमिता दास, ने कहा, “जम्मू‑कश्मीर में खेल‑इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास अब केवल राज्य सरकार का काम नहीं रह गया; राष्ट्रीय संस्थाएं भी अब इस क्षेत्र में निवेश देखने को मिल रहा है।” इस तरह की नई ऊर्जा से स्थानीय स्तर पर एंट्रेंस्टीज, अकादमी और टूरनामेंट की संभावना बढ़ेगी।

दूसरी ओर, कुछ पुरानी लकीरें अभी भी बनी हुई हैं। कई ने सवाल किया कि क्या मानहास के पास मैनेजमेंट के लिए पर्याप्त अनुभव है, क्योंकि उन्होंने अब तक केवल खिलाड़ी‑रूप में काम किया है। इस पर राघव परवेज, एक खेल‑प्रशासन विशेषज्ञ, ने उत्तर दिया, “हर अध्यक्ष का रास्ता अलग होता है; सबसे अहम बात है कि वे बोर्ड को पारदर्शी बनाएं और मैदान के बाहर भी समान अवसर दें।”

आगे क्या उम्मीदें?

अब अगले 12‑15 महीनों में मानहास की प्राथमिकता होगी – घरेलू टूर, IPL की लॉजिस्टिक, और युवा अकादमी का पुनर्गठन। उन्होंने तुरंत एक समिति बनाकर “जम्मू‑कश्मीर में बुनियादी सुविधाओं का सर्वेक्षण” करने का वादा किया है। यदि यह योजना सफल हो गई, तो 2027 में रिलायंस प्लायिंग फील्ड और क्रीक सेंटर जैसी अंतरराष्ट्रीय स्टेडियूम बन सकते हैं।

इसी के साथ, विश्व क्रिकेट परिषद (ICC) के नए चेयरमैन जय शाह के साथ सहयोग को और मजबूत करने की उम्मीद है। यह गठबंधन भारतीय क्रिकेट को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई ऊँचाइयों पर ले जा सकता है।

Frequently Asked Questions

Frequently Asked Questions

मिथुन मानहास के BCCI अध्यक्ष बनने से भारतीय क्रिकेट को क्या लाभ होगा?

मानहास के कोचिंग और मैदान पर अनुभव से युवा प्रतिभाओं को बेहतर मार्गदर्शन मिलेगा। साथ ही, उनका जम्मू‑कश्मीर से होना क्षेत्रीय विविधता को बढ़ावा देगा, जिससे राजनैतिक और सामाजिक स्तर पर खेल को एकजुट करने में मदद मिलेगी।

राजीव शुक्ला के उप‑अध्यक्ष बनने से बोर्ड में क्या बदलाव आएगा?

इंटर्मीडियट अध्यक्ष के रूप में शुक्ला ने कई प्रशासनिक सुधार किए हैं। उप‑अध्यक्ष के तौर पर वे फ़ाइनेंशियल ऑडिट, अनुबंध प्रक्रियाओं और सरकारी नियमों के पालन को सुदृढ़ करेंगे, जिससे BCCI की पारदर्शिता बढ़ेगी।

इस चुनाव में अन्य संभावित उम्मीदवारों ने क्यों नहीं दाखिल किया?

सौरव गांगुली, हरभजन सिंह और रघुराम भट की राज्य संघों ने समय सीमा के भीतर नोटिस नहीं भेजा। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्हें नियोजन में असहमति और व्यक्तिगत कारणों के कारण पीछे हटने को मजबूर किया गया।

BCCI के अध्यक्ष को मिलने वाला दैनिक भत्ता कितना प्रभावशाली है?

घरेलू बैठकों में ₹40,000 और अंतरराष्ट्रीय यत्र‑त्राण में US$1,000 (लगभग ₹89,000) का भत्ता उच्च वर्गीकरण का है। यह राशि आधिकारिक खर्चों, यात्रा, आवास और अन्य खर्चों को कवर करती है, जिससे अध्यक्ष को वित्तीय बोझ कम होता है।

जम्मू‑कश्मीर में इस नियुक्ति का सामाजिक प्रभाव क्या हो सकता है?

स्थानीय युवा अब एक राष्ट्रीय स्तर की भूमिका मॉडल देखेंगे। इससे खेल‑इन्फ्रास्ट्रक्चर, प्रशिक्षण संस्थान और नीतियों में निवेश बढ़ेगा, और क्षेत्रीय तनाव कम करने में खेल एक पुल बन सकता है।

7 टिप्पणि

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    Arya Murthi

    सितंबर 30, 2025 AT 19:01

    ये तो सच में जम्मू-कश्मीर के लिए इतिहास बन गया! मैंने तो सोचा भी नहीं था कि कभी यहाँ से कोई BCCI का अध्यक्ष बनेगा। अब तो हर छोटा बच्चा जिसके पास बल्ला है, वो सोचेगा - ‘मैं भी वैसा बन सकता हूँ।’ ये नियुक्ति किसी बड़े राजनीतिक फैसले जैसी नहीं, बल्कि एक दिल की धड़कन जैसी है।

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    Manu Metan Lian

    सितंबर 30, 2025 AT 19:35

    इस तरह की ‘प्रतीकात्मक’ नियुक्तियाँ अब बहुत आम हो गई हैं। एक खिलाड़ी को अध्यक्ष बनाना उसकी खेल की प्रतिभा का संकेत नहीं, बल्कि राजनीतिक दृष्टिकोण का प्रदर्शन है। अगर आपको लगता है कि एक बल्लेबाज़ बोर्ड की संरचना को समझ सकता है, तो आप बहुत निराशावादी हैं। वित्तीय पारदर्शिता, लॉजिस्टिक्स, और अंतरराष्ट्रीय संबंधों का ज्ञान चाहिए - न कि बल्ले से बनी यादें।

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    Debakanta Singha

    अक्तूबर 1, 2025 AT 19:38

    मानहास के पास जो अनुभव है, वो बहुत असली है। उन्होंने राज्य स्तर पर टूर्नामेंट चलाए, युवाओं को ट्रेन किया, और बिना किसी बड़े संसाधन के काम किया। ये बोर्ड के लिए एक नया अंदाज़ है - न कि राजनीति का खेल। अगर आप देखें तो जम्मू-कश्मीर के खिलाड़ियों के लिए ये एक बड़ा विश्वास है। अब लोग सोचेंगे कि ‘हम भी यहाँ आ सकते हैं’।

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    swetha priyadarshni

    अक्तूबर 2, 2025 AT 09:18

    इस नियुक्ति का सामाजिक प्रभाव बहुत गहरा हो सकता है। जम्मू-कश्मीर में खेल के लिए बुनियादी ढांचे की कमी हमेशा से रही है - ट्रेनिंग फील्ड, गेयर, कोच, यहाँ तक कि एक सुरक्षित मैदान भी। अगर मानहास असली निवेश करते हैं, तो ये सिर्फ़ एक बोर्ड का बदलाव नहीं, बल्कि एक सामाजिक बदलाव होगा। मैंने देखा है कि कितने युवा लड़के-लड़कियाँ अपने घर के छत पर बल्ला घुमाते हैं, बिना किसी गाइड के। अगर इस नियुक्ति से उनके लिए एक रास्ता खुल जाए, तो ये एक राष्ट्रीय जीत होगी।

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    tejas cj

    अक्तूबर 3, 2025 AT 08:50

    एक उम्मीदवार? बस एक? ये चुनाव नहीं था यार, ये तो एक बोर्ड की बेइज्जती थी। कोई नहीं नामांकित हुआ? तो क्या सौरव गांगुली ने भी अपनी गाड़ी चलाने का बंद कर दिया? ये सब नाटक है। अब ये नया अध्यक्ष भी एक और बोर्ड का बाला बन जाएगा। जय शाह के बाद ये भी बस एक और नाम है।

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    Chandrasekhar Babu

    अक्तूबर 4, 2025 AT 01:32

    मानहास के व्यक्तिगत अनुभव (प्राथमिक स्तर के राज्य टूर्नामेंट्स, क्लब-लेवल ऑर्गनाइजेशन) को एक स्ट्रैटेजिक लीडरशिप फ्रेमवर्क में ट्रांसलेट करने की क्षमता को देखते हुए, इस नियुक्ति को एक सिस्टमिक रिस्क-रिवर्सल स्ट्रैटेजी के रूप में देखा जा सकता है। उनके डिसेंट्रलाइज्ड गवर्नेंस मॉडल ने एक डायनामिक इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पाथवे को एन्हांस किया है, जो फ्यूचर इन्वेस्टमेंट फ्लो के लिए एक न्यू क्लस्टर इकोसिस्टम बनाने की संभावना रखता है।

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    Pooja Mishra

    अक्तूबर 5, 2025 AT 13:23

    ये सब बहुत अच्छा लग रहा है, लेकिन क्या आपने सोचा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को अभी भी बहुत सारे अधिकार नहीं मिले? खेल के लिए इतना जश्न मनाना ठीक है, लेकिन क्या ये बोर्ड अब यहाँ के लोगों को नौकरी देगा? क्या ये बोर्ड अब वहाँ के बच्चों को बिना बिल्कुल अनुमति के क्रिकेट खेलने देगा? ये सब बस दिखावा है।

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