पश्चिम बंगाल चुनाव 2021 में तृणमूल कांग्रेस ने छाया लैंडस्लाइड जीत
चुनाव की रूपरेखा और मतदान प्रक्रिया
वेस्ट बंगाल में 2021 की विधानसभा चुनाव 27 मार्च से 29 अप्रैल तक आठ चरणों में संपन्न हुई। कुल 294 सीटों में से दो सीटों का मतदान असाधारण परिस्थितियों के कारण 30 सितंबर को पुनर्निर्धारित किया गया। इस दौरान मतदान कार्यालयों पर 5,92,89,161 मतदाताओं ने अपना वोट डाला, जिससे 84.7% की शानदार टर्नआउट दर्ज हुई।
प्रत्येक चरण में सुरक्षा को कड़ा किया गया, क्योंकि चुनावी माहौल में कोविड‑19 के खतरे को दूर करने के लिए विशेष उपाय किए गए। परिणामस्वरूप, मतदाताओं ने न केवल अपने अधिकारों का प्रयोग किया, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रति अपनी जिम्मेदारी भी निभाई।
परिणाम और राजनीतिक प्रभाव
बहुत सारे सर्वेक्षणों ने बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस के बीच तंग मुकाबले की भविष्यवाणी की थी, लेकिन मतगणना के बाद पश्चिम बंगाल चुनाव 2021 ने एक स्पष्ट चित्र सामने रखा। तृणमूल कांग्रेस ने 213 सीटों पर कब्ज़ा जमाया, जिससे ममता बनर्जी की सरकार ने मजबूत बहुमत हासिल किया। बीजेपी ने 77 सीटें जीतीं, जिससे वह राज्य में मुख्य विपक्षी बन गई।
एक बड़ी राजनीतिक घटना यह थी कि इस चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और किसी भी कम्युनिस्ट पार्टी ने एक भी सीट नहीं जीत पाई। यह परिणाम बीते दशक में बंगाल की राजनीति से जुड़े दो बड़े ध्रुवों को बिलकुल बदल कर नई धारा बना रहा है।
- तृणमूल कांग्रेस ने कई प्रमुख जिलों में 30% से अधिक मत अंतर से जीत दर्ज की।
- बिहार के सीमावर्ती क्षेत्रों में बीजेपी ने कड़ी प्रतिस्पर्धा की, परन्तु अधिकांश मामलों में मताधिकार में कमी देखी गई।
- ममता बनर्जी की चुनावी टीम में प्रज्वलित किशोर (प्रशांत किशोर) ने रणनीतिक रूप से डिजिटल प्रचार, सामाजिक नेटवर्क और स्थानीय स्तर पर मजबूत संपर्क स्थापित किया।
इस जीत ने ममता बनर्जी को राष्ट्रीय मंच पर और भी प्रमुख आवाज़ बना दिया। साथ ही, यह परिणाम केन्द्र सरकार के पूर्वी भारत में विस्तार की योजनाओं के लिए एक बड़ा झटका सिद्ध हुआ। आगामी राष्ट्रीय चुनावों में यह शक्ति संतुलन कैसे बदलता है, इसपर राजनीति के विशेषज्ञों की निगाहें टिकी हुई हैं।
Khaleel Ahmad
सितंबर 28, 2025 AT 18:52कोविड के बीच भी ये टर्नआउट देखकर लगता है कि लोगों के दिल में डेमोक्रेसी अभी जिंदा है।
Liny Chandran Koonakkanpully
सितंबर 29, 2025 AT 11:12अगली बार देखना, जब ये सब उल्टा हो जाएगा 😏
Anupam Sharma
सितंबर 30, 2025 AT 20:13मैंने तो सुना है कि वोटिंग रिकॉर्ड्स में बहुत सारे अनियमितताएं हैं। क्या कोई जांच कर रहा है? या फिर ये सब बस एक नाटक है?
प्रशांत किशोर के डिजिटल कैंपेन ने तो बस युवाओं को भ्रमित किया। असली समस्याएं तो अभी भी वहीं हैं - बेरोजगारी, पानी, बिजली।
लेकिन नहीं, लोग तो बस नाम देखकर वोट कर देते हैं।
Payal Singh
सितंबर 30, 2025 AT 21:31किसी ने कहा था कि बंगाल में अब कोई भी दूसरी पार्टी नहीं बचेगी... और फिर लोगों ने साबित कर दिया कि वो अपनी आवाज़ अभी भी उठा सकते हैं।
ममता बनर्जी की टीम ने जो किया, वो एक नए तरीके का नमूना है - स्थानीय स्तर पर जुड़ाव, डिजिटल रणनीति, और लोगों के दिलों को छूना।
मैं इसे एक नए युग की शुरुआत मानती हूं - जहां लोग अपने नेता के नाम से नहीं, बल्कि उनकी नीतियों से जुड़ते हैं।
avinash jedia
अक्तूबर 1, 2025 AT 00:47ये सब बस एक बड़ी धमाकेदार शो है।
Shruti Singh
अक्तूबर 2, 2025 AT 01:35ये जीत लाखों गरीब लोगों की आवाज़ है - जिन्होंने अपने घरों के बाहर वोट डाला, बिना डरे।
तुम जो भी बोल रहे हो, ये जीत असली है - और ये बदलाव अब रुकेगा नहीं।
Kunal Sharma
अक्तूबर 3, 2025 AT 19:48पश्चिम बंगाल के लोगों ने ये साबित कर दिया कि वो अब किसी भी ताकत के आगे झुकने को तैयार नहीं हैं - चाहे वो केंद्र हो या राज्य।
इस चुनाव में जो बदलाव आया, वो एक जनतांत्रिक बिंदु पर लौटने का संकेत है - जहां वोट का मतलब होता है कि तुम अपने भविष्य के लिए खड़े हो रहे हो।
प्रशांत किशोर की टीम ने बस एक नया टूल नहीं बनाया, बल्कि एक नया भाषा बनाई - जो युवाओं के दिमाग में घुस गई।
अब ये नहीं कि कौन जीता, बल्कि ये है कि कैसे जीता - और ये तरीका अब भारत के हर राज्य में देखा जाएगा।
ये एक नए युग का अरंभ है, जहां लोग अपने अधिकारों को बाजार की तरह नहीं, बल्कि एक अधिकार के रूप में समझते हैं।
और इस बदलाव को देखकर लगता है कि भारत का भविष्य अभी भी जीवित है।
Raksha Kalwar
अक्तूबर 4, 2025 AT 14:3984.7% वोटिंग रेकॉर्ड का मतलब है कि लोग अब राजनीति को अपना अधिकार मानते हैं।
प्रशांत किशोर की रणनीति ने दिखाया कि डिजिटल टूल्स के साथ स्थानीय संपर्क कैसे जुड़ सकता है।
इस जीत ने बताया कि राजनीति अब बस घोषणाओं से नहीं, बल्कि वास्तविक जुड़ाव से जीतती है।
himanshu shaw
अक्तूबर 5, 2025 AT 17:30मतदान के आंकड़े बदले गए हैं।
बीजेपी को जो वोट मिले, वो गायब हैं।
किसी ने देखा कि कितने वोटिंग मशीनें गायब हुईं?
और फिर ये सब लोग जीत की बात कर रहे हैं।
ये चुनाव बस एक राजनीतिक नाटक है।
कोई जांच नहीं हुई।
कोई जिम्मेदार नहीं।
बस एक बड़ा बाजार।
Rashmi Primlani
अक्तूबर 6, 2025 AT 08:55ममता बनर्जी की टीम ने बस एक चुनाव नहीं जीता, बल्कि एक नई आशा का निर्माण किया।
प्रशांत किशोर के डिजिटल कैंपेन ने युवाओं को एक नया भाषा दिया - जिसमें वो अपने सपनों को व्यक्त कर सकें।
ये बदलाव बंगाल तक सीमित नहीं होगा।
ये भारत के हर राज्य में फैलेगा - क्योंकि अब लोग जानते हैं कि वोट बस एक कागज़ नहीं, बल्कि एक अधिकार है।
harsh raj
अक्तूबर 7, 2025 AT 23:5184.7% वोटिंग का मतलब है कि लोग अब राजनीति को अपना नहीं, बल्कि अपने भविष्य का हिस्सा मानते हैं।
बीजेपी की जीत ने भी दिखाया कि लोग अभी भी बदलाव की उम्मीद कर रहे हैं।
ये चुनाव बस एक निर्णय नहीं, बल्कि एक बातचीत है - और ये बातचीत अभी शुरू हुई है।
Prakash chandra Damor
अक्तूबर 9, 2025 AT 21:05क्या ये जीत उनके लिए कुछ बदलेगी?
Rohit verma
अक्तूबर 10, 2025 AT 20:55ममता बनर्जी की टीम ने बस एक चुनाव नहीं जीता - उन्होंने लोगों को विश्वास दिलाया।
और अगर ये विश्वास बना रहे, तो भविष्य बहुत अच्छा होगा ❤️
Arya Murthi
अक्तूबर 12, 2025 AT 01:22लोग अब बस नाम नहीं, बल्कि नीति देख रहे हैं।
ये बदलाव धीरे-धीरे हुआ... लेकिन असली था।
Manu Metan Lian
अक्तूबर 13, 2025 AT 01:50मैं इस बात पर गंभीरता से संदेह करता हूं कि यह वास्तविक लोकतांत्रिक अभिव्यक्ति है या एक अधिक व्यापक राजनीतिक योजना का अंग।
Debakanta Singha
अक्तूबर 13, 2025 AT 12:43वोट नहीं, काम चाहिए।
बिजली, पानी, रोजगार - ये वो चीजें हैं जिनका इंतज़ार है।
अगर ये नहीं दिया, तो अगली बार लोग बदल देंगे।
Khaleel Ahmad
अक्तूबर 15, 2025 AT 09:33जीत तो हुई, लेकिन अब जिम्मेदारी शुरू हो रही है।
लोग अब बस वोट नहीं, बल्कि काम देखेंगे।