Supreme Court में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के 20 महत्वपूर्ण फैसले: न्याय की नयी दिशा
नव॰, 10 2024जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़: भारतीय न्यायपालिका के प्रमुख स्तंभ
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने 10 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्ति ली। अपने कार्यकाल के दौरान, वह एक ऐसे न्यायाधीश के रूप में उभरे जिन्होंने संविधान के मूल्यों और मानवाधिकारों की सर्वोच्चता सुनिश्चित की। उनके फैसले न केवल कानूनी, बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी अतिसंवेदनशील माने गए हैं। वह ऐसे मुद्दों पर पैरवी करते रहे, जो समाज के सामान्य जनमानस के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण थे।
गोपनीयता का अधिकार: एक नया दृष्टिकोण
जस्टिस चंद्रचूड़ के कार्यकाल में सबसे चर्चित फैसलों में से एक था 'गोपनीयता का अधिकार'। 'जस्टिस (सेवानिवृत्त) केएस पुट्टस्वामी बनाम भारत संघ और अन्य' के मामले में उन्होंने निर्णय दिया कि अनुच्छेद 21 के तहत जीवन का अधिकार गरिमा सहित जीने का अधिकार शामिल है। इस फैसले ने व्यक्तिगत गोपनीयता और मानवाधिकारों की सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रेस की स्वतंत्रता का समर्थन
मीडिया की स्वतंत्रता हमेशा न्यायपालिका के सामने एक संवेदनशील मुद्दा रहा है। जस्टिस चंद्रचूड़ के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट ने 'मध्यमा ब्रॉडकास्टिंग लिमिटेड बनाम भारत संघ व अन्य' के मामले में केंद्र सरकार के उस निर्णय को रद्द कर दिया, जिसमें मलयालम समाचार चैनल 'मीडिया वन' का प्रसारण लाइसेंस रद्द कर दिया गया था। उन्होंने प्रेस की स्वतंत्रता को राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर अनावश्यक रोक से बचाया।
महिला अधिकार और जेंडर जस्टिस
महिला अधिकार की सुनिश्चितता का समर्थन करते हुए, जस्टिस चंद्रचूड़ ने महिलाओं को समानता का अधिकार दिलाने में महत्वपूर्ण न्यायिक सुधारों का समर्थन किया है। उन्होंने उन प्रथाओं के खिलाफ निर्णय दिए, जो महिला समानता के अधिकार को क्षति पहुँचाते थे, और न्यायपालिका के माध्यम से लैंगिक न्याय की दिशा में अग्रसर रहे।
न्यायिक दृष्टिकोण का विकास और समर्पण
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस चंद्रचूड़ के आठ वर्षीय कार्यकाल में उन्होंने 600 से अधिक निर्णयों की अध्यक्षता की और इनका हिस्सा बने। उनका दृष्टिकोण हमेशा से स्वतंत्र और निष्पक्ष रहा है। उन्होंने स्वतंत्र जांच, संवैधानिक स्वतंत्रता, और कानूनी संवेदनशीलता से संबंधित मामलों पर बहुतेरी बार अपनी स्पष्ट राय व्यक्त की।
उनकी विरासत भारतीय न्यायपालिका के लिए सतत प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी। उनके विचार और रास्ते आने वाले मुख्य न्यायाधीशों को भी प्रेरित करेंगे। उनके 20 महत्वपूर्ण फैसले भारतीय न्यायपालिका के नियमों एवं कार्यप्रणाली में नयी ऊर्जा का संचार करते हैं।