आर्थिक सर्वेक्षण 2025: क्या कह रहा है भारत की अर्थव्यवस्था?

हर साल सरकार आर्थिक स्थिति का एक बड़ा रिपोर्ट जारी करती है, जिसे हम आर्थिक सर्वेक्षण कहते हैं। इस दस्तावेज़ में देश के जीडीपी, महंगाई, रोजगार और कई अन्य चीजों के आंकड़े होते हैं। अगर आप समझ पाएँ कि इन आँकड़ों का मतलब क्या है, तो अपने खर्च, निवेश या कर की योजना बनाने में बड़ी मदद मिलती है। चलिए देखते हैं 2025 के सर्वेक्षण में कौन‑से बड़े बिंदु सामने आए हैं और उनका आपके रोज़मर्रा की ज़िंदगी पर क्या असर पड़ता है।

मुख्य आँकड़े जो आपको जानने चाहिए

सबसे पहले बात करते हैं जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) की। 2025 में भारत का वार्षिक जीडीपी वृद्धि 6.8 % बताई गई है, जो पिछले साल से थोड़ा ऊपर है। इसका मतलब यह नहीं कि हर व्यक्ति को तुरंत धन मिलेगा, बल्कि यह संकेत देता है कि कुल मिलाकर उत्पादन बढ़ रहा है।

इन्फ्लेशन (मूल्य वृद्धि) का आंकड़ा 4.5 % आया है। महंगाई नियंत्रण में रहने के लिए RBI ने नीति दर को 6.25 % पर रखा, जो पिछले महीनों की तुलना में स्थिर है। अगर आपके घर का खर्च बढ़ रहा है तो इस आँकड़े से पता चलता है कि यह अस्थायी या दीर्घकालिक हो सकता है।

राजकोषीय घाटा (फिस्कल डिफ़िसिट) 5.9 % पर स्थिर रहा, यानी सरकार की आय और खर्च में अंतर छोटा है। इससे बजट में नई योजना चलाने के लिए थोड़ा जगह बचती है, लेकिन अगर आप टैक्स प्लानिंग कर रहे हैं तो इस आँकड़े को देखना फायदेमंद रहेगा।

सेक्टोरल परफॉर्मेंस में कृषि 3 % की वृद्धि दिखा रहा है, जबकि उद्योग और सेवा क्षेत्र क्रमशः 7.2 % और 6.5 % बढ़े हैं। इसका मतलब नौकरी के अवसरों में भी बदलाव आ सकता है—उद्योग क्षेत्रों में नई नौकरियां और सेवाओं में अधिक प्रोजेक्ट्स।

व्यावहारिक प्रभाव: आपका जीवन कैसे बदलेगा?

अगर आप घर खरीदने की सोच रहे हैं, तो सर्वेक्षण के अनुसार रियल एस्टेट की कीमतें अगले दो‑तीन साल में स्थिर रहने का अनुमान है। इसका मतलब यह हो सकता है कि अभी निवेश करने से ज्यादा फायदेमंद नहीं होगा, लेकिन दीर्घकालिक योजना बनाना बेहतर रहेगा।

संपत्ति और स्टॉक मार्केट में भी असर दिखता है। जब महंगाई 4‑5 % के आसपास रहती है, तो ब्याज दरें स्थिर रहती हैं और कंपनियों के प्रॉफिट मार्जिन बेहतर होते हैं। निवेशकों को ऐसे माहौल में म्यूचुअल फंड या बड़े ब्लू-चिप स्टॉक्स पर ध्यान देना चाहिए।

उद्यमी और छोटे व्यापारियों के लिए यह अच्छा समय है क्योंकि सरकारी योजनाओं में पूँजी खर्च बढ़ा है। अगर आप नया व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं, तो सरकार की स्कीम जैसे MSME फंडिंग या डिजिटल भुगतान को अपनाने से मदद मिल सकती है।

अंत में, रोज़मर्रा के खर्चों पर नजर रखें। महंगाई 4.5 % रहने से किराना और गैस की कीमतें थोड़ा बढ़ेंगी, लेकिन बहुत ज्यादा नहीं। अगर आप बजट बनाते समय इन आँकड़ों को ध्यान में रखेंगे तो अनावश्यक खर्च कम कर पाएँगे।

संक्षेप में, आर्थिक सर्वेक्षण का मतलब सिर्फ आंकड़े नहीं बल्कि आपके वित्तीय फैसलों के लिए दिशा-निर्देश है। इन मुख्य बिंदुओं को समझकर आप अपनी बचत, निवेश और खर्च की योजना बेहतर बना सकते हैं।

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संसद के मानसून सत्र में 2024-25 के पूर्ण बजट को 24 जुलाई को प्रस्तुत किए जाने की संभावना है। आर्थिक सर्वेक्षण 23 जुलाई को पेश हो सकता है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संयुक्त सत्र में ऐलान किया कि यह बजट व्यापक सुधारों को लक्षित करेगा।

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