बसंत पंचमी 2025: पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, महत्व और सरस्वती पूजा की खबरें

बसंत पंचमी 2025: पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, महत्व और सरस्वती पूजा की खबरें फ़र॰, 3 2025

बसंत पंचमी का महत्व और उत्सव

बसंत पंचमी, जिसे सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है, विद्या और कला की देवी सरस्वती को समर्पित एक प्रमुख हिंदू पर्व है। यह पर्व भारत के साथ-साथ नेपाल और अन्य दक्षिण एशियाई देशों में भी बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यह पर्व वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक होता है, जिससे समूचा वातावरण उल्लास से भर जाता है। इस दिन को विशेष रूप से शिक्षा और ज्ञान के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है, और इसे नए कार्यों के शुभारंभ के लिए आदर्श समय माना जाता है।

पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

पूजा विधि की बात करें तो इस दिन भक्तगण विशेषकर विद्या, बुद्धि और कला की प्राप्ति के लिए देवी सरस्वती की उपासना करते हैं। पूजा के लिए शुभ मुहूर्त का आरंभ 2 फरवरी 2025 को प्रातः 9:14 बजे से होगा और यह अगले दिन प्रातः 6:52 बजे तक चलेगा। विशेष मुहूर्त का समय 7:08 बजे से 12:34 बजे के बीच रहेगा। इस दिन के लिए सबसे महत्वपूर्ण समय मध्यान्ह क्षण होगा जो 12:34 बजे है। यह समय शिवा और सरस्वती के आशीर्वाद के सबसे करीब माना जाता है।

उत्सव की रंगीनियों में पीला रंग

बसंत पंचमी के रंग में पीला एक विशेष स्थान रखता है। यह रंग न केवल वसंत के स्वागत का प्रतीक है अपितु ज्ञान और सकारात्मकता का भी द्योतक है। लोग इस दिन पीले वस्त्र पहनते हैं और पीले फूलों और पीली मिठाइयों का प्रसाद चढ़ाते हैं। पीला पकवान जैसे कि मीठे चावल, हल्दी का दूध और लड्डू विशेष रूप से इस दिन के मेन्यू का हिस्सा होते हैं।

सांस्कृतिक और धार्मिक गतिविधियाँ

सरस्वती पूजा के अवसर पर लोग परंपरागत रूप से सांस्कृतिक गतिविधियों में भी भाग लेते हैं। इस दिन कई स्थानों पर बड़ी सभाएँ होती हैं, जहां विविध प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं जैसे कि संगीत प्रतियोगिता, स्कूली बच्चों द्वारा प्रस्तुत नाटकों का मंचन, और अन्य कला प्रदर्शनियाँ। पतंगबाजी भी इस दिन की एक अहम गतिविधि होती है, खासकर उत्तर भारत में। लोग घर की छतों पर खड़े होकर विभिन्न रंगों और आकार की पतंगों से आकाश को सजा देते हैं।

मांगलिक कार्यों के लिए शुभ समय

बसंत पंचमी का दिन नए पहलुओं और मांगलिक कार्यों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन को विवाह, ग्रह प्रवेश, व्यापार आरंभ आदि के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। शिक्षा के क्षेत्र में यह दिन विशेष महत्व रखता है क्योंकि विद्यार्थी और विद्वान इस दिन देवी सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।

कुछ स्थानों पर यह परंपरा है कि बच्चे अपनी शिक्षा की शुरुआत इस दिन से करते हैं। जिन लोगों ने अभी-अभी लिखना-पढ़ना सीखना शुरू किया है, उनके लिए इस दिन को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।

हिंदी भाषियों के लिए विशेष महत्व

भारत में हिंदी भाषी क्षेत्रों में बसंत पंचमी का विशेष स्थान है। यहाँ के लोग इसे पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं और यह पर्व उनके लिए एक विशेष धरोहर के समान है। इस दिन की खासियत यह भी है कि लोग एक-दूसरे को सरस्वती पूजा की बधाई देते हैं और अपने प्रियजनों के साथ इस खुशी को साझा करते हैं। यह त्योहार समाज में एकता, भाईचारे और सामाजिक समरसता का संदेश फैलाता है।

बधाइयाँ और शुभकामनाएँ

बसंत पंचमी के इस पावन अवसर पर लोग एक-दूसरे को शुभकामनाएँ भेजते हैं। कुछ प्रचलित संदेश जिनका इस अवसर पर उपयोग किया जाता है, वे हैं - 'विद्या की देवी सरस्वती आपके जीवन में ज्ञान और सफलता का प्रकाश फैलाएँ, बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!' और 'सरस्वती मां की कृपा से आपका जीवन सदा हरित और समृद्ध रहे।'