जीएसटी काउंसिल ने स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर निर्णय टाला, कैंसर दवाओं पर जीएसटी दर घटाई

जीएसटी काउंसिल ने स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर निर्णय टाला, कैंसर दवाओं पर जीएसटी दर घटाई

जीएसटी काउंसिल का निर्णय

हाल ही में जीएसटी काउंसिल की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। इस बैठक में खासतौर पर स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम और कैंसर की दवाओं से संबंधित मुद्दों पर जोर दिया गया। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में कई अहम फैसले लिए गए हैं, जो आम जनता के स्वास्थ्य सेवा से जुड़े खर्चों पर असर डाल सकते हैं।

सबसे पहले, स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर जीएसटी दरों को घटाने के प्रस्ताव पर चर्चा की गई। हालांकि, इस निर्णय को फिलहाल टाल दिया गया है और इस पर और अधिक विचार करने के लिए एक मंत्रियों के समूह (GoM) का गठन किया गया है। वित्त मंत्री ने इस बात की घोषणा की और कहा कि इस समूह का उद्देश्य स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम के जीएसटी दरों को कम करने के प्रस्ताव को अच्छी तरह से जांचना और इसके फायदे-नुकसान पर विचार करना है।

कैंसर दवाओं पर राहत

वहीं, कैंसर की दवाओं के संबंध में जीएसटी काउंसिल ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। काउंसिल ने इन दवाओं पर जीएसटी दर को 12% से घटाकर 5% कर दिया है। यह निर्णय कैंसर रोगियों, विशेषकर वृद्ध जनों को राहत प्रदान करने के उद्देश्य से लिया गया है। इन दवाओं की लागत आम तौर पर काफी अधिक होती है और जीएसटी दर में यह कटौती निश्चित रूप से उन्हें आर्थिक रुप से सहूलियत प्रदान करेगी।

कैंसर ऐसी बीमारी है जिसमें लंबे समय तक उपचार की आवश्यकता होती है और इसका खर्च आमतौर पर परिवारों पर भारी पड़ता है। इस दृष्टिकोन से, यह निर्णय विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे इन दवाओं की पहुंच को सुगम बनाया जा सकेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि जीएसटी दर में इस कमी से न केवल कैंसर मरीजों बल्कि उनके परिवारों को भी राहत मिलेगी।

सेहत के लिए बेहतर कदम

सेहत के लिए बेहतर कदम

स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर जीएसटी दर कम करने के प्रस्ताव को लेकर हालांकि काउंसिल ने अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया है, लेकिन इसका निहितार्थ यह है कि सरकार इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार कर रही है। सरकारी नीतियों और योजनाओं का मुख्य उद्देश्य जनता के स्वास्थ्य संबंधी खर्चों को कम करना है, ताकि हर व्यक्ति अच्छी स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठा सके।

कुल मिलाकर, जीएसटी काउंसिल के निर्णय जनता के स्वास्थ्य सेवा और आर्थिक भलाई के हित में हैं। कैंसर जैसी घातक बीमारी के इलाज के लिए दवाओं की लागत में कटौती से यह संकेत मिलता है कि सरकार आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दे रही है।

आने वाले समय में मंत्री समूह द्वारा स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर जीएसटी दरों को घटाने के प्रस्ताव पर विचार करने के बाद इस मुद्दे पर भी सकारात्मक परिणाम की उम्मीद की जा सकती है।

वित्तीय सशक्तिकरण की दिशा में कदम

इस प्रकार के निर्णय न केवल चिकित्सा क्षेत्र में सुधार लाएंगे, बल्कि वित्तीय सशक्तिकरण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित होंगे। जब सरकार आम जनता के स्वास्थ्य सेवा खर्चों को कम करने का प्रयास करती है, तो इसका सकारात्मक प्रभाव संपूर्ण समाज पर पड़ता है और समाज में स्वास्थ्य संबंधी मानसिकता भी बदलती है।

इस फैसले से यह स्पष्ट है कि सरकार जनहितैषी नीतियों को लागू करने की दिशा में दृढ़ संकल्पित है। कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे लोगों की मदद के लिए जीएसटी दर में कमी करना एक सराहनीय कदम है। भविष्य में, हमें उम्मीद है कि स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर भी यह तरह का सकारात्मक निर्णय लिया जाएगा, ताकि अधिक से अधिक लोग बीमा कवरेज का लाभ उठा सकें और स्वस्थ जीवन जी सकें।

11 टिप्पणि

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    Raksha Kalwar

    सितंबर 10, 2024 AT 13:12
    ये तो बहुत अच्छा फैसला है! कैंसर की दवाओं पर GST घटाना सिर्फ एक नीति नहीं, बल्कि मानवता का प्रतीक है। जिन परिवारों को हर महीने लाखों रुपये खर्च करने पड़ते हैं, उनके लिए ये 7% की बचत जिंदगी बचा सकती है।
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    himanshu shaw

    सितंबर 11, 2024 AT 04:48
    इस तरह के फैसले सिर्फ चुनावी फायदे के लिए लिए जाते हैं। जीएसटी घटाने से राजस्व में कमी आएगी, और वही पैसा बाद में अन्य करों से वसूला जाएगा। ये सब नाटक है।
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    Rashmi Primlani

    सितंबर 11, 2024 AT 07:48
    स्वास्थ्य एक मौलिक अधिकार है और इसकी लागत कम करना एक न्यायपूर्ण कदम है। दवाओं पर GST की दर कम करने से न केवल रोगी बल्कि उनके देखभाल करने वाले भी आराम पाते हैं। यह एक चिकित्सा नीति नहीं, बल्कि एक सामाजिक न्याय का कदम है।
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    harsh raj

    सितंबर 12, 2024 AT 01:18
    मैंने अपने चाचा को ये दवाएं खरीदनी पड़ीं और जब मैंने बिल देखा तो लगा जैसे बैंक लूट रहा हो। अब ये 5% हो गया तो एक लाख की बचत हो गई। असली बदलाव तब होगा जब हर दवा पर GST खत्म हो जाए।
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    Prakash chandra Damor

    सितंबर 13, 2024 AT 05:44
    स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर GST घटेगा क्या अगर घटेगा तो कब तक लगेगा क्या ये सब बस बातें हैं
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    Rohit verma

    सितंबर 14, 2024 AT 15:44
    ये बहुत अच्छी खबर है ❤️ अब जब दवाएं सस्ती हो गईं तो अब बीमा प्रीमियम पर भी ऐसा ही फैसला होना चाहिए। हर घर में बीमा होना चाहिए, बस ये बात बाकी है।
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    Arya Murthi

    सितंबर 14, 2024 AT 20:25
    मैंने अपनी माँ को एक साल तक दवाएं खरीदनी पड़ीं। जब ये खबर आई तो मैंने बस आँखें बंद कर लीं और सोचा कि अब उसका दर्द कम होगा। बहुत बहुत धन्यवाद।
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    Manu Metan Lian

    सितंबर 15, 2024 AT 01:28
    इस तरह की नीतियाँ बेहद अविचारित हैं। ये दवाएँ जिनकी लागत घटाई जा रही है, उनके उत्पादन में विदेशी निवेश शामिल है। ये नीति भारतीय फार्मा कंपनियों को नुकसान पहुँचाएगी। एक नीति जिसमें लंबी अवधि का विचार नहीं है, वह विनाशकारी है।
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    Debakanta Singha

    सितंबर 16, 2024 AT 00:28
    सच बताऊं तो ये सब तो बस दिखावा है। दवाएं सस्ती हो गईं, लेकिन डॉक्टरों के फीस तो बढ़ गए। बीमा के लिए भी ऐसा ही होगा। असली समस्या ये है कि सरकार लोगों को बीमा कराने की जगह दवाओं पर टैक्स कम कर रही है।
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    swetha priyadarshni

    सितंबर 17, 2024 AT 15:51
    हमारे गाँव में एक औरत अपने बेटे के लिए दवाएं खरीदने के लिए अपनी जमीन बेच देती है। अगर इन दवाओं की कीमत घट गई तो वह बच सकती है। ये निर्णय बस एक आंकड़ा नहीं है, ये एक जीवन है। हमें इसका मतलब समझना चाहिए कि ये 5% कैसे एक परिवार के भविष्य को बदल सकता है।
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    tejas cj

    सितंबर 18, 2024 AT 04:56
    GST घटाना तो आसान है लेकिन दवाएं बनाने वाले कंपनियाँ अपनी कीमतें कम करेंगी क्या? नहीं भाई, वो तो अब भी उतनी ही कीमत लगाएंगे और पैसा अपनी जेब में डाल लेंगे। ये सब नाटक है।

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