मलयालम के अनुभवी अभिनेता टी पी माधवन का निधन, परिपक्व उम्र में भुला बैठे रिश्ते
अक्तू॰, 10 2024मलयालम सिनेमा के जाने-माने अभिनेता टी पी माधवन के निधन ने सिनेमा जगत में शोक की लहर दौड़ा दी है। बुधवार को उनका निधन हुआ और यह खबर सुनकर उनके प्रशंसकों के दिलों में एक उदासी छा गई। माधवन ने अपनी जीवन यात्रा के अंतिम आठ साल पथनापुरम के गांधी भवन में बिताए, जहाँ वे जीवन के अंतिम चरण में पहुँचे थे। यह संस्थान अब उनके दुखद अंत की अंतिम गवाह बनी। उनका जीवन सिनेमा की चकाचौंध भरी दुनिया से दूर, अकेलापन और भुला दिए जाने की कहानी बन गई।
माधवन एक समय में मलयालम फिल्मों के एक प्रमुख चेहरे थे। अनेक सुपरहिट फिल्मों में अपने अभिनय से दर्शकों का दिल जीतने वाले माधवन का निजी जीवन भी काफी जटिल था। उनकी पारिवारिक जीवन में आई टूटन ने उन्हें अपनों से दूर कर दिया। माधवन के अजनबी जीवन की कड़वी सच्चाई यह थी कि अपने आखिरी दिन वे अपने बेटे राज कृष्णा मेनन के बिना बिताने को मजबूर हो गए, जो खुद बॉलीवुड में एक सफल निर्देशक के रूप में पहचान बना चुके हैं।
माधवन की स्थिति को नोटिस करते हुए, टेलीविजन सीरियल डायरेक्टर प्रसाद नूरनाड ने उनकी बिगड़ती सेहत को देखकर उन्हें गांधी भवन पहुँचाया। यह कदम उनपर दया का परमाणुपूर्ण था। यहाँ तक की, माधवन ने शुरुआत में हरिद्वार के एक आश्रम में खुद को स्थापित करने सोचा था, लेकिन उनकी सेहत ने इस इरादे को पूरा नहीं होने दिया। गांधी भवन में माधवन को विशेष देखभाल और चिकित्सा सुविधाएँ दी गईं, जिसका कुछ खर्च आमा और उनके अमेरिका में रहने वाली बहन द्वारा वहन किया गया।
गांधी भवन में जिंदगी का एक हिस्सा बिताने के बाद, माधवन ने अपनी शारीरिक स्थिति में कुछ सुधार पाया। यहाँ वह अक्सर किताबें पढ़ते और दोस्तों के साथ चर्चा में लीन रहते। हर पल को जीने की इच्छा रखते हुए भी, वह अपने दिल में परिवार से मिलने की आस को जलाए रखते थे। हालांकि, अंतिम समय में उनकी सेहत ने फिर से धोखा दे दिया और उनका निधन हो गया।
मलयालम सिनेमा में अपने चार दशक लंबे करियर के दौरान, माधवन ने कई यादगार काम किए। कुछ फिल्मों ने उन्हें अमर बना दिया, लेकिन अपने आखिरी वर्षों में वह परिवार और चकाचौंध से दूर अकेलापन महसूस करते रहे। माधवन की कहानी हमें न केवल फिल्मी दुनिया के सपनों की याद दिलाती है, बल्कि यह भी बताती है कि जीवन में रिश्तों की अहमियत क्या होती है।