प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार में: नालंदा यूनिवर्सिटी के नए कैंपस का उद्घाटन करेंगे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बिहार दौरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार दौरे को लेकर राज्य में एक विशेष उत्साह है। वे बुधवार को नालंदा विश्वविद्यालय के नए कैंपस का उद्घाटन करेंगे। यह कैंपस प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहरों के पास स्थित है, जो अपनी बौद्ध शिक्षा प्रणाली और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है।
यह विश्वविद्यालय 2010 में नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम के माध्यम से स्थापित किया गया था। इसका उद्भव 2007 में फिलीपींस में हुए दूसरे पूर्वी एशिया समिट में लिए गए निर्णय का परिणाम है। नए कैंपस का निर्माण न केवल शिक्षा के क्षेत्र में एक मील का पत्थर होगा, बल्कि यह राज्य में पर्यटन और सांस्कृतिक पुनरुत्थान के लिए भी महत्वपूर्ण है।
नालंदा विश्वविद्यालय की ऐतिहासिक महत्ता
नालंदा विश्वविद्यालय की जड़ें प्राचीन भारत की बौद्ध शिक्षा प्रणाली में हैं। यह विश्वविद्यालय 5वीं सदी में स्थापित हुआ था और लगभग 800 सालों तक संसार भर के विद्यार्थियों और विद्वानों के लिए एक प्रमुख केंद्र बना रहा। तिब्बत, चायना और अन्य देशों से भी विद्यार्थी यहां आकर अध्ययन करते थे।
इस संस्था में बोधिधर्मा, धर्मपाल और अन्य महान विद्वानों ने शिक्षा दी थी। नालंदा की विशेषता उसके व्यापक पुस्तकालय और विविध विषयों की शिक्षा थी, जिसमें तर्कशास्त्र, चिकित्सा, गणित, खगोलविज्ञान और अन्य कई विषय शामिल थे। यह विश्वविद्यालय न केवल शिक्षा का केंद्र था, बल्कि यह सांस्कृतिक और धार्मिक जागरुकता का भी प्रतीक था।
नए कैंपस का महत्व
नए कैंपस के उद्घाटन के साथ, नालंदा विश्वविद्यालय के पुनर्जीवन को एक नई दिशा मिलेगी। यह आधुनिक शिक्षा के सभी आवश्यकताओं को पूरा करेगा और साथ ही प्राचीन शिक्षा प्रणाली के मूल्यों को संरक्षित करेगा।
इसमें विभिन्न शैक्षणिक विभाग, अनुसंधान केंद्र, पुस्तकालय, और छात्रावास की सुविधाएं मौजूद होंगी। विश्वविद्यालय में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, गणित, और प्राचीन भारतीय ज्ञान विज्ञान जैसे विविध विषयों की पढ़ाई की जाएगी। इस प्रयास का उद्देश्य न केवल विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा प्रदान करना है, बल्कि उन्हें एक समग्र और समावेशी दृष्टिकोण भी उपलब्ध कराना है।
राज्य के लिए फायदे
राज्य के लिए यह कैंपस एक महत्वपूर्ण विकास संभावना बन कर उभर सकता है। इससे राज्य में शिक्षा के स्तर में सुधार होगा और युवा पीढ़ी को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के और अधिक अवसर मिलेंगे।
साथ ही, यह राज्य में पर्यटन के क्षेत्र में भी योगदान करेगा, क्योंकि नालंदा विश्वविद्यालय के प्राचीन खंडहर और नया कैंपस दोनों ही पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन सकते हैं। इससे राज्य की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा और रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न होंगे।
प्रधानमंत्री का संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर शिक्षा और संस्कृति के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “नालंदा विश्वविद्यालय का पुनरुत्थान भारत की शिक्षा की धरोहर को सम्मानित करने का प्रतीक है। यह कैंपस न केवल आधुनिक शिक्षा की मांगों को पूरा करेगा, बल्कि प्राचीन भारतीय ज्ञान और मूल्यों को भी संरक्षित करेगा।”
प्रधानमंत्री का यह भी मानना है कि नालंदा विश्वविद्यालय का यह प्रयास विद्यार्थियों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद करेगा। उन्होंने इसके लिए छात्रों, शिक्षकों और प्रबंधन सभी को शुभकामनाएं दीं।
निष्कर्ष
नालंदा विश्वविद्यालय के नए कैंपस का उद्घाटन भारत की शिक्षा और संस्कृति के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उन्नति है, बल्कि यह भारत की प्राचीन धरोहर का सम्मान भी करता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह प्रयास भारत की युवाओं को वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्धी बनाने और उन्हें उच्च शिक्षा की उन्नत तकनीकों से परिचित कराने के उद्देश्य से किया गया है। नालंदा विश्वविद्यालय का नया कैंपस आने वाले समय में शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा।
Abhrajit Bhattacharjee
जून 20, 2024 AT 10:32नालंदा का नया कैंपस सिर्फ इमारतें नहीं, एक विरासत की वापसी है। प्राचीन भारत जब दुनिया का शिक्षा केंद्र था, तब यहीं से ज्ञान का प्रकाश फैला। आज फिर वही राह चल रही है।
Raj Entertainment
जून 20, 2024 AT 22:50भाई ये तो बहुत बढ़िया बात है! पुराने जमाने का ज्ञान और आज की टेक्नोलॉजी का मिश्रण? बस अब देखना है कि ये छात्र कितने बेहतरीन बनते हैं। बस ध्यान रखना है कि इसमें बिना भावनाओं के विज्ञान भी आए।
Manikandan Selvaraj
जून 21, 2024 AT 22:54अरे ये सब बकवास है बस प्रचार के लिए बनाया गया है। नालंदा के खंडहरों के पास बस एक नया बिल्डिंग बना दी और देश को लगाया जा रहा है कि ये कुछ बड़ा हुआ। बस ये बन गया तो अब नौकरियां कहां हैं ये सोचो।
Naman Khaneja
जून 21, 2024 AT 23:36वाह यार बहुत बढ़िया हुआ 😍 अब बिहार के बच्चे भी दुनिया के सामने अपनी पहचान बना पाएंगे। जल्दी से एडमिशन का फॉर्म भर दो दोस्तों 😎📚
Gaurav Verma
जून 22, 2024 AT 19:56ये सब ठीक है पर क्या कभी किसी ने सोचा कि ये जगह बस एक और बाजार बन जाएगी? जहां पैसे वाले ही आएंगे। जिनके पास बाहरी शिक्षा का बजट हो।
Fatima Al-habibi
जून 24, 2024 AT 10:34अच्छा हुआ। लेकिन क्या इसकी वास्तविक योजना इतनी सरल है? जब हम प्राचीन ज्ञान को आधुनिक शिक्षा में शामिल करते हैं, तो क्या वह वास्तविक रूप से बचता है? या बस एक नाम के लिए फिट कर दिया जाता है?
Nisha gupta
जून 25, 2024 AT 11:02इस विश्वविद्यालय का उद्देश्य केवल शिक्षा नहीं, बल्कि एक नए भारत की आत्मा को जगाना है। जहां ज्ञान और नैतिकता एक साथ चलते हैं। यह एक विचार है जो दुनिया को अपनाना चाहिए।
Roshni Angom
जून 26, 2024 AT 15:27ये तो बहुत खूबसूरत है... बस एक बात... क्या हम यहां सिर्फ पढ़ाई करने जा रहे हैं... या अपनी आत्मा को भी ढूंढने...? क्योंकि नालंदा कभी सिर्फ एक विश्वविद्यालय नहीं था... ये एक यात्रा थी...
vicky palani
जून 27, 2024 AT 17:38इसका असली मकसद बिहार के लोगों को भाग्य देना नहीं है... ये सिर्फ विदेशी निवेश के लिए एक शो है... और जो लोग इसे बेच रहे हैं... वो खुद नालंदा के बारे में कुछ नहीं जानते।
jijo joseph
जून 28, 2024 AT 09:03इस इनिशिएटिव के अंतर्गत एक सिंटेक्टिक एप्रोच अपनाया गया है जिसमें ह्यूमेनिस्टिक एंड साइंटिफिक डायमेंशन्स को इंटीग्रेट किया गया है। यह एक नियमित एजुकेशनल आर्किटेक्चर के बाहर एक नए पैराडाइम का संकेत है।
Manvika Gupta
जून 29, 2024 AT 18:11मुझे नहीं पता क्या होगा... लेकिन अगर यहां कोई बुरा लगे तो मैं नहीं जाऊंगी... बस इतना ही
leo kaesar
जून 30, 2024 AT 12:37नालंदा? बस एक नाम है। असली ज्ञान तो आज यूट्यूब पर है। ये सब बस फैंसी डिज़ाइन के लिए है।
Ajay Chauhan
जुलाई 2, 2024 AT 02:07ये सब तो बहुत अच्छा लगता है पर असल में कितने लोग इसका लाभ उठाएंगे? जो लोग यहां आएंगे वो तो इससे पहले ही अच्छे स्कूलों में पढ़ चुके होंगे। बाकी का क्या?
Taran Arora
जुलाई 3, 2024 AT 20:38ये केवल एक कैंपस नहीं... ये एक जागृति है। जब हम प्राचीन भारत के ज्ञान को आधुनिक दुनिया के साथ जोड़ते हैं, तो हम दुनिया को एक नया रास्ता दे रहे हैं। ये हमारी विरासत है... और इसे बचाना हमारा कर्तव्य है।