कैंसर दवाएँ – क्या है, कैसे काम करती हैं और ध्यान रखने योग्य बातें

अगर आपको या आपके किसी रिश्तेदार को कैंसर का पता चला है तो सबसे पहले दवा की जानकारी चाहिए होगी। आजकल कई तरह की दवाएँ उपलब्ध हैं, लेकिन हर एक का अपना तरीका और असर होता है। इस लेख में हम आसान भाषा में समझेंगे कि कौन‑सी दवाएँ किस स्थिति में दी जाती हैं और उनका सही इस्तेमाल कैसे करना चाहिए।

मुख्य प्रकार की कैंसर दवाएँ

सबसे पहले बात करते हैं तीन मुख्य वर्गों की – कीमोथेरेपी, इम्यूनोथेरेपी और टार्गेटेड थैरेपी। कीमोथेरेपी उन दवाओं को कहते हैं जो कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए तेज़ी से बढ़ते सेल्स को नष्ट करती हैं। इन्हें अक्सर इंजेक्शन या मौखिक टैबलेट रूप में दिया जाता है और साइड इफ़ेक्ट्स जैसे उल्टी, बालों का झड़ना आम होते हैं।

इम्यूनोथेरेपी शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को ताकत देती है ताकि वह खुद कैंसर सेल्स को पहचान कर मार सके। ये दवाएँ अक्सर निचले डोज़ में दी जाती हैं और साइड इफ़ेक्ट्स कम होते हैं, लेकिन कभी‑कभी त्वचा पर रैश या थकान महसूस हो सकती है।

टार्गेटेड थैरेपी वो दवाएँ हैं जो कैंसर कोशिकाओं के खास जीन या प्रोटीन को निशाना बनाती हैं। इसका फायदा यह है कि सामान्य सेल्स कम प्रभावित होते हैं, इसलिए साइड इफ़ेक्ट्स अक्सर हल्के रहते हैं। डॉक्टर टैस्टिंग करके सही टार्गेटेड दवा चुनते हैं।

दवा लेने से पहले और बाद में ध्यान रखने वाली बातें

किसी भी कैंसर दवा को शुरू करने से पहले डॉक्टर के साथ पूरी मेडिकल रिपोर्ट देखनी चाहिए। अगर आपको कोई एलर्जी या पुरानी बीमारी है, तो उसे ज़रूर बताएं; इससे डोज़ या दवा बदलना पड़ सकता है।

दवा लेने का समय बहुत महत्वपूर्ण होता है। कुछ दवाएँ खाने के बाद लेनी होती हैं, जबकि कुछ खाली पेट बेहतर काम करती हैं। पैकेज की जानकारी पढ़ें और डॉक्टर की सलाह पर ही पालन करें।

साइड इफ़ेक्ट्स को कम करने के लिए पर्याप्त पानी पिएँ, हल्का भोजन खाएँ और नियमित रूप से आराम करें। अगर उल्टी या बुखार जैसी समस्या लगातार बनी रहे तो तुरंत डॉक्टर को बताएं।

कैंसर दवा का असर देखने में कई हफ्ते‑महीने लगते हैं, इसलिए जल्दी निराश न हों। हर चक्र के बाद डॉक्टर टेस्ट करके बताएँगे कि दवा काम कर रही है या नहीं और आगे की योजना बनायेंगे।

अंत में कुछ आसान टिप्स: दवाओं को सुरक्षित जगह पर रखें, कभी भी डोज़ बढ़ाएँ नहीं बिना डॉक्टर के कहे, और अगर कोई नया लक्षण दिखे तो तुरंत रिपोर्ट करें। याद रखिए, सही जानकारी और डॉक्टर के साथ मिलकर काम करने से उपचार का परिणाम बेहतर होता है।

दवाओं के साथ स्वस्थ जीवनशैली भी मदद करती है। हल्का व्यायाम जैसे टहला या योग रक्त संचार बेहतर करता है और थकान कम करता है। संतुलित भोजन जिसमें प्रोटीन, विटामिन और खनिज हों, शरीर को दवा का असर संभालने में सहायक होता है। शराब और धूम्रपान से बचें; ये कैंसर कोशिकाओं के बढ़ने की संभावना बढ़ा सकते हैं।

कुछ अक्सर पूछे जाने वाले सवाल:

  • क्या मैं गर्भवती होने पर दवा ले सकता/सकती हूँ? अधिकांश कैंसर दवाएँ गर्भावस्था में सुरक्षित नहीं होतीं, इसलिए डॉक्टर से तुरंत चर्चा करें।
  • डॉक्टर ने कहा है कि दवा के साथ सप्लीमेंट लेना ठीक रहेगा? कुछ सप्लीमेंट दवा की प्रभावशीलता घटा सकते हैं; हमेशा डॉक्टर से परामर्श लें।
  • क्या मैं काम जारी रख सकता हूँ? कई लोग इलाज के दौरान हल्का काम कर लेते हैं, लेकिन यदि थकान बहुत अधिक हो तो आराम ज़रूरी है।

इन बातों को याद रखकर आप कैंसर दवाओं का सही उपयोग कर पाएँगे और उपचार प्रक्रिया में खुद को बेहतर महसूस करेंगे। अगर कोई नया प्रश्न या समस्या सामने आए तो डॉक्टर से संपर्क करना सबसे सुरक्षित तरीका है। स्वस्थ रहें, सकारात्मक सोच रखें और अपने इलाज के हर चरण को समझदारी से आगे बढ़ाएँ।

जीएसटी काउंसिल ने स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर निर्णय टाला, कैंसर दवाओं पर जीएसटी दर घटाई

जीएसटी काउंसिल ने स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर निर्णय टाला, कैंसर दवाओं पर जीएसटी दर घटाई

जीएसटी काउंसिल ने हाल ही में हुई बैठक में स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम और कैंसर दवाओं से संबंधित कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। उन्होंने स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर जीएसटी दरों को घटाने के निर्णय को फिलहाल टाल दिया है। वहीं, कैंसर की दवाओं पर जीएसटी दर 12% से 5% कर दी गई है, जिससे मरीजों को राहत मिलेगी।

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