कर दर का आसान गाइड – क्या बदल रहा है?

क्या आपको कभी लगता है कि कर की बातें बहुत जटिल हैं? असल में नहीं, बस सही जानकारी और कुछ बेसिक समझ चाहिए। यहाँ हम भारत के प्रमुख कर रेट्स, उनके हालिया बदलाव और आपके लिए उपयोगी टिप्स को आसान भाषा में बताते हैं। पढ़ते ही आप अपने टैक्स प्लानिंग में सुधार देखेंगे।

मुख्य टैक्स रेट्स 2025

2025 के वित्तीय वर्ष में आयकर स्लैब थोड़ा बदल गया है। अगर आपकी सालाना आय ₹2.5 लाख से कम है तो आप पूरी तरह छूट पाएंगे। ₹2.5–₹5 लाख के बीच 5% टैक्स, और ₹10 लाख तक 20% की दर लागू होती है। इससे ऊपर की आय पर अब 30% का टॉप रेट लगेगा, जैसा पहले था।

जीएसटी (GST) भी कई सेक्टर में अपडेट हुआ है। अधिकांश वस्तुओं के लिए 18% रेट बना रहा, लेकिन ई-कॉमर्स और इलेक्ट्रॉनिक सेवाओं पर 28% की उच्चतम दर लागू हुई है। छोटे व्यवसायों को अब आरसीएफएस के तहत रजिस्टर करना अनिवार्य हो गया है, ताकि इनवॉयसिंग आसान हो सके।

कर बचाने के सरल उपाय

टैक्स प्लानिंग में सबसे बड़ा हथियार है सेक्शन 80C का पूरा उपयोग करना। जीवन बीमा प्रीमियम, पीपीएफ, ELSS फंड आदि पर आप कुल ₹1.5 लाख तक की बचत कर सकते हैं। इसके अलावा सेक्शन 24(b) के तहत होम लोन इंटरेस्ट पर भी टैक्स छूट मिलती है, जो कई लोगों को बड़ी राहत देता है।

अगर आपके पास हेल्थ इंश्योरेंस है तो सेक्शन 80D से अतिरिक्त बचत कर सकते हैं – व्यक्तिगत और परिवार दोनों की पॉलिसी के लिए अलग-अलग सीमा निर्धारित है। इस छोटे कदम से सालाना टैक्स बिल काफी घट सकता है।

एक और आसान टिप है डिजिटल पेमेंट्स को अपनाना। सरकार ने डिजिटल लेन-देन पर रिवॉर्ड पॉइंट्स और कस्टमर रिबेट्स की योजना बनाई है, जिससे आप अप्रत्यक्ष रूप से टैक्स बचा सकते हैं। चाहे वह ऑनलाइन शॉपिंग हो या मोबाइल रिचार्ज, छोटे-छोटे खर्चों को डिजिटल बनाकर आप भविष्य में लाभ उठाएंगे।

अब बात करते हैं फ्रीलांसर्स और छोटी कंपनियों की। अगर आपका टर्नओवर ₹40 लाख से कम है तो आप टैक्सेशन के तहत आसान प्रोसेस का फायदा उठा सकते हैं – जैसे कि प्री-डिक्लेर्ड रेट्स पर कर देना या छोटे व्यवसायों के लिए विशेष ग्रेस पीरियड। इससे अकाउंटिंग में भी झंझट नहीं रहेगी।

अंत में, टैक्स फाइलिंग की टाइमलाइन याद रखें। देनदारियों को समय से पहले चुकाने से लेट फीस और इंटरेस्ट बचता है। अगर आप रिटर्न फाइल करने के बाद कोई गलती देखते हैं तो तुरंत संशोधन (revised return) जमा करें – इससे आगे चलकर बड़ी परेशानी नहीं होगी।

संक्षेप में, कर दरों को समझना कठिन नहीं है, बस सही जानकारी और कुछ बेसिक प्लानिंग की जरूरत है। इस पेज पर दी गई बातें आपके टैक्स बोझ को घटाने में मदद करेंगे। अगर आप नियमित रूप से अपडेटेड रहें तो भविष्य में भी बड़े सरप्राइज़ से बचेंगे।

जीएसटी काउंसिल ने स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर निर्णय टाला, कैंसर दवाओं पर जीएसटी दर घटाई

जीएसटी काउंसिल ने स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर निर्णय टाला, कैंसर दवाओं पर जीएसटी दर घटाई

जीएसटी काउंसिल ने हाल ही में हुई बैठक में स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम और कैंसर दवाओं से संबंधित कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। उन्होंने स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर जीएसटी दरों को घटाने के निर्णय को फिलहाल टाल दिया है। वहीं, कैंसर की दवाओं पर जीएसटी दर 12% से 5% कर दी गई है, जिससे मरीजों को राहत मिलेगी।

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