लिक्विडेशन क्या होता है? आसान शब्दों में समझें

जब किसी कंपनी, एस्टेट या व्यक्तिगत संपत्ति को अब आगे चलकर नहीं रखना चाहते, तो उसे बंद करने की प्रक्रिया लिक्विडेशन कहलाती है। इस दौरान सभी बकाया दायित्वों का निपटारा और बाकी बची चीज़ों को बेच कर पैसा इकट्ठा किया जाता है। आप इसे एक ‘सफ़ाई’ जैसा समझ सकते हैं – सब कुछ साफ‑सुथरा करके अंत में जो भी बचता है, वही रख लिया जाता है या बाँटा जाता है।

लिक्विडेशन के प्रमुख प्रकार

1. कंपनी लिक्विडेशन – जब व्यवसाय चलाना संभव नहीं रहता, तो कंपनी को बंद करके उसकी संपत्तियों को बेचते हैं और देनदारों को भुगतान करते हैं। दो तरह की लिक्विडेशन होती है: स्वैच्छिक (जब शेयरहोल्डर खुद तय करे) और अनिवार्य (कोर्ट या नियामक आदेश पर)।

2. वित्तीय लिक्विडेशन – व्यक्तिगत या पारिवारिक ऋणों को खत्म करने के लिए सभी एसेट बेचकर बकाया साफ़ किया जाता है। अक्सर यह दिवालिया केस में देखा जाता है जहाँ कोर्ट की मंजूरी चाहिए होती है।

3. एस्टेट लिक्विडेशन – जब किसी का निधन हो जाता है, तो उनकी जायदाद को बाँटना और कर्ज़ चुकाना पड़ता है। इस प्रक्रिया में वैध वसीयत या कानून के अनुसार एसेट्स की सूची बनाकर वितरण किया जाता है।

लिक्विडेशन प्रक्रिया कैसे चलती है?

पहला कदम – सभी एसेट और दायित्वों की पूरी लिस्ट तैयार करें. इससे आप जान पाएंगे कि क्या बेचना है, कितना बकाया है और कौन‑को भुगतान करना है। इस लिस्ट में बैंक बैलेंस, प्रॉपर्टी, इन्वेंट्री, साथ ही उधार, टैक्स आदि भी शामिल होते हैं।

दूसरा – एक भरोसेमंद लिक्विडेटर या एडवोकेट चुनें. वह आपको कानूनी दस्तावेज़ तैयार करने, कोर्ट के सामने पेश होने और सभी लेन‑देनों का सही रिकॉर्ड रखने में मदद करेगा। अक्सर छोटे व्यवसायों के लिए एक चार्टर्ड अकाउंटेंट भी पर्याप्त रहता है।

तीसरा – एसेट्स को बेचना या ट्रांसफ़र करना. प्रॉपर्टी बेचते समय बाजार कीमत पर समझौता करें, स्टॉक की वैल्यू तय करने के लिए विशेषज्ञ की राय लें और सभी बिक्री का लिखित रिकॉर्ड रखें। इससे बाद में कोई विवाद नहीं होगा।

चौथा – देनों को भुगतान करना. सबसे पहले सरकारी टैक्स, कर्मचारी वेतन और उधारदारों को चुकाएँ। यदि पैसे कम पड़ें तो प्रायोरिटी के हिसाब से बाँटें; आमतौर पर टैक्स और कर्मचारियों की प्राथमिकता होती है।

पांचवा – अंतिम रिपोर्ट बनाना और बंद करना. सभी लेन‑देनों का सारांश तैयार करके कोर्ट या नियामक को जमा करें। अगर सब ठीक रहा तो लिक्विडेशन समाप्त माना जाएगा और कंपनी/एस्टेट के नाम पर कोई बकाया नहीं रहेगा।

लिक्विडेशन में सबसे बड़ी बात है समय पर सही दस्तावेज़ रखना और पेशेवर मदद लेना। इससे न सिर्फ कानूनी झंझट कम होते हैं, बल्कि आपका पैसा भी बचता है। अगर आप या आपके जानने वाले किसी लिक्विडेशन की दहलीज पर हैं, तो ऊपर बताए गए कदमों को फॉलो करें – सरल प्रक्रिया है और सही दिशा में चलना आसान बनाता है।

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सुप्रीम कोर्ट ने भूषण पावर और स्टील लिमिटेड के लिक्विडेशन पर रोक लगाते हुए JSW Steel को पुनर्विचार याचिका दायर करने का मौका दिया है। मई 2 के फैसले में JSW की 19,700 करोड़ योजना खारिज हो गई थी। अब तक वित्तीय दावे 47,000 करोड़ और ऑपरेशनल दावे 621 करोड़ तक पहुंच चुके हैं। प्रमुख पक्ष समाधान प्रक्रिया और लिक्विडेशन के बीच विकल्प तलाश रहे हैं।

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