ओलम्पिक मेडल: हर खिलाड़ी की सपना, हर देश की शान

ऑलिम्पिक खेल दुनिया भर के एथलीट्स को एक मंच पर लाते हैं जहाँ सिर्फ जीत नहीं, बल्कि सम्मान भी मिलता है। इस मंच पर सबसे ज्यादा ध्यान आकर्षित करता है – सोना, चाँदी और कांस्य के मेडल। अगर आप ओलम्पिक की बात सुनते‑समय इन तीन रंगों का जिक्र देखते हैं तो समझिए आपने सही जगह पहुँच गए हैं।

ओलम्पिक मेडल के तीन प्रकार

सबसे पहले तो जानते हैं कि मेडल कैसे बनते हैं। हर चार साल में आयोजित होने वाले खेल में, प्रत्येक प्रतियोगिता का विजेता सोने का मेडल लेता है, दूसरा चाँदी और तीसरा कांस्य। सोना सबसे महंगा होता है क्योंकि इसमें 6 ग्राम शुद्ध सोना नहीं बल्कि 92.5% सिल्वर के साथ मिलाकर बनाया जाता है ताकि वजन कम रहे लेकिन चमक बरकरार रहे।

चाँदी का मेडल भी लगभग वही मिश्रण होता है, पर इस बार इसमें ज्यादा सिल्वर और थोड़ा बहुत जिंक जोड़ दिया जाता है। कांस्य में मुख्य सामग्री तांबा होती है, जिसमें थोड़ी सी जिंक मिलती है ताकि उसकी मजबूती बनी रहे। इन सभी धातुओं को खास ढंग से डाला जाता है, फिर ऊपर एथलीट की प्रतियोगिता का नाम और देश का प्रतीक उकेरा जाता है।

भारत की ओलम्पिक उपलब्धियां

अब बात करते हैं भारत की। कई लोग सोचते हैं कि हमारे पास बहुत कम मेडल होते हैं, लेकिन सच तो यह है कि हर बार के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं। 2021 में नेहा कक्कड़ और पीवी सिंधु जैसी एथलीट्स ने बैडमिंटन में सोना जीत कर इतिहास लिखा। इसी तरह भारत की पहली ओलम्पिक सोने की जीत 2008 बीजिंग में अभिषेक धवन ने शूटिंग में हासिल की थी।

अगर आप जानना चाहते हैं कि कौन‑से खेलों में हमें सबसे ज्यादा मेडल मिलते हैं, तो उत्तर है: कबड्डी, शूटर, बैडमिंटन और हल्के एथलेटिक्स। इन क्षेत्रों में हमारे खिलाड़ी लगातार मेहनत कर रहे हैं और हर बार की ओलम्पिक में बेहतर परिणाम लाते हैं।भविष्य की ओर देखते हुए, भारत ने कई नई योजनाओं का ऐलान किया है – जैसे खेल अकादमी बनाना, प्रशिक्षण सुविधाएं अपग्रेड करना और युवा एथलीट्स को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करना। इन कदमों से उम्मीद है कि अगली ओलम्पिक में हमारी मेडल गिनती दो‑तीन गुना बढ़ेगी।

तो, अब जब आप अगले साल की ओलम्पिक देखते हैं तो सिर्फ एथलेटिक्स ही नहीं, बल्कि उन कहानियों को भी याद रखें जो हर मेडल के पीछे छुपी होती है। यह कहानी केवल खिलाड़ी की नहीं, पूरे देश की मेहनत और सपनों का जश्न है।

पीवी सिंधु ने पेरिस ओलंपिक की करारी हार के बाद छोटे ब्रेक का किया फैसला

पीवी सिंधु ने पेरिस ओलंपिक की करारी हार के बाद छोटे ब्रेक का किया फैसला

पीवी सिंधु, दो बार की ओलंपिक पदक विजेता, ने पेरिस ओलंपिक 2024 में हार के बाद छोटा ब्रेक लेने का निर्णय लिया है। सिंधु का ऐतिहासिक तीसरा ओलंपिक पदक जीतने का सपना चीन की हे बिंग जियाओ के खिलाफ महिला एकल प्री-क्वार्टरफाइनल में हार से टूट गया। लेकिन वह ब्रेक के बाद बैडमिंटन में लौटने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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