TDS राहत: टैक्स रिफंड आसान बनाएं

जब बात TDS राहत, कटे हुए टैक्स को वापस पाने की प्रक्रिया की आती है, तो कई लोग उलझन में पड़ते हैं। मूल रूप से यह वो तरीका है जिससे आप अपने आयकर, भारत का मुख्य कर मानदंड के तहत अधिक काटे गए टैक्स को भरपाई ले सकते हैं। अक्सर इसे टैक्स रिफंड, कटे टैक्स की वापसी के नाम से जाना जाता है, लेकिन सही समझ से आप प्रक्रिया को तेज़ और सुगम बना सकते हैं।

क्यों चाहिए TDS राहत और कौन है लाभार्थी?

जो salaried employee, फ्रीलांसर या निवेशक हैं, उनके वेतन, भुगतान या डिविडेंड पर कटे टैक्स को अक्सर तुरंत ही रिवर्स किया नहीं जाता। यही वह जगह है जहाँ TDS राहत काम आती है। यदि आपके Form 26AS में दिखाया गया डैडक्शन आपके वास्तविक टैक्स बाध्यता से अधिक है, तो सरकार उसे वापस देता है। इसलिए, टैक्सको‑डेडक्टेड‑एट‑सोर्स राहत वह उपकरण है जो अधिशेष टैक्स को वापस लाने में मदद करता है, जिससे आपका बजट बेहतर बनता है।

रिफंड मिलने के लिये तीन मुख्य चीज़ें जरूरी हैं: आपका PAN, स्थायी खाता संख्या, जो करदाता को पहचाने, सही‑सही Form 26AS और आयकर रिटर्न फाइल करना। इन तीनों के बीच सीधा संबंध है – PAN आपके सभी लेन‑देनों को जोड़ता है, Form 26AS उन लेन‑देनों को दिखाता है, और आयकर रिटर्न में आप इन सबको सही‑सही रिपोर्ट करते हैं।

अब बात करते हैं कदम‑दर‑कदम प्रक्रिया की। सबसे पहले, https://www.incometaxindiaefiling.gov.in पर लॉगिन करके अपने PAN के साथ रिटर्न फाइल करें। फाइलिंग के दौरान, आप अपना Form 26AS देखते हैं – यह आपके पूरे वित्तीय वर्ष में सभी TDS रिकॉर्ड का सारांश है। यदि आप देखेंगे कि कुल TDS आपके अपेक्षित टैक्स के मुकाबले ज्यादा है, तो रिटर्न फॉर्म में “डिस्क्लेमर” सेक्शन में अतिरिक्त‑कटे‑टैक्स को रिफंड के तौर पर क्लेम करें। इस क्लेम को सबमिट करने के बाद, आपकी रिफंड राशि आमतौर पर 30‑45 दिनों में आपके बैंक अकाउंट में ट्रांसफर हो जाती है।

एक आम गलती यह है कि लोग अपना PAN अपडेट नहीं करते या Form 26AS में गलत बैंक अकाउंट लिंक कर देते हैं। ऐसा होने पर रिफंड रुक सकता है या वापस लौट सकता है। इसलिए, वार्षिक रूप से PAN status चेक करना, बैंक details सही रखना और Form 26AS को ध्यान से मिलाना बहुत जरूरी है। साथ ही, TDS छूट के तहत कुछ मॉड्यूलरिटी क्लेम भी होते हैं, जैसे HRA, LTA, आदि – इनको भी रिटर्न में शामिल करने से रिफंड बढ़ सकता है।

ध्यान रखें कि जब रिफंड आपके खाते में जमा हो जाता है, तो सरकार उस पर 0% ब्याज देती है, लेकिन अगर प्रोसेसिंग में देर हो जाए तो रिफंड पर ब्याज जुड़ सकता है। इसलिए, जितनी जल्दी रिटर्न फाइल कर सकें, उतना बेहतर है। डिजिटल पोर्टल जैसे NSDL ट्रेस (https://www.tdscpc.gov.in) या आयकर ई‑फ़ाइलिंग साइट पर अपने रिफंड के status को ट्रैक कर सकते हैं – यह भी एक आसान तरीका है।

कई बार लोग पूछते हैं कि कौन‑से समय‑सीमा में TDS राहत दायर करनी चाहिए। वास्तविकता यह है कि वित्तीय वर्ष समाप्ति के बाद दो महीने के भीतर (अक्टूबर‑नवंबर) रिटर्न फाइल करना सही रहता है। इस दौरान, सभी कटौतियों का मिलान करने का मौका मिलता है और देर से दाखिल करने पर पेनल्टी भी लग सकती है। इसलिए, एक व्यवस्थित कैलेंडर बनाकर, साल के अंत में सभी फॉर्म इकट्ठे कर लेना सबसे स्मार्ट कदम है।

संक्षेप में, TDS राहत का मुख्य उद्देश्य आपके अधिशेष टैक्स को वापस लाना है, और इसे पाने के लिए सही दस्तावेज़, अपडेटेड PAN और सटीक Form 26AS का होना अनिवार्य है। अब आप नीचे दी गई लेख‑सूची में अधिक विस्तृत गाइड, केस स्टडी और नई नियमों की जानकारी पाएँगे, जो आपकी टैक्स रिफंड प्रक्रिया को और भी सहज बनाएंगे। तैयार हैं? तो चलिए आगे की पोस्ट्स में गहराई से देखते हैं।

CBDT ने इनऑपरेबल PAN के लिये TDS/TCS राहत के नियम बदल दिए

CBDT ने इनऑपरेबल PAN के लिये TDS/TCS राहत के नियम बदल दिए

CBDT ने सर्कुलर नं. 9/2025 जारी कर इनऑपरेबल PAN से जुड़ी उच्च TDS/TCS दरों पर राहत दी है। अप्रैल‑2024 से जुलाई‑2025 के बीच किए गए लेन‑देनों पर यदि PAN सप्टेंबर‑2025 तक सक्रिय हो जाए तो सामान्य दर प्रचलित होगी। अगस्त‑2025 के बाद के लेन‑देनों के लिये दो महीने की अवधि दी गई है। लिंकिंग की अंतिम तिथि अब 31 दिसंबर 2025 तय की गई है, जिससे करदाताओं को राहत मिलेगी।

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